Book Title: Mook Mati
Author(s): Vidyasagar Acharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 503
________________ उपादान-कारण ही कार्य में टलता है यह अकाट्य नियम है. किन्तु उसके ढलने में निमित्त का सहयोग भी आवश्यक है, इसे चैं कहें तो और उत्तम होगा कि उपादान का कोई यहाँ पर पर-मित्र है"तो वह निश्चय से निमित्त है जो अपने मित्र का निरन्तर नियमित रूप से गन्तव्य तक साथ देता है।" और फिर एक वार, ........ .. . . : . एसी की दि की जाँखों से देखता हुआ परिवार छने जल से कुम्भ को 'भर कर आगे बढ़ा कि वही पुराना स्थान जहाँ माटी लेने आया है. शिल्पी कुम्भकार बह ! परिवार सहित कुम्भ ने कुम्भकार का अभिवादन किया स्मृतियाँ ताजी हो आई मानो पवन का परस पा कर सरवर तरंगाचित हो आया। मुक पाटी :- RA

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