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कृती-फुली धरतो कहती है"माँ सत्ता को प्रसन्नता हैं, बेटा तुम्हारी उन्नति देख कर मान-हारिणी प्रणति देख कर।
'पूत का लक्षण पालने में कहा था न बेटा, हमने उस समय, जिस समय तुम तमने मेरी आज्ञा का पालन किया
जो
कुम्भकार का संसर्ग किया
सृजनशीत जीवन का
आदिम सगं हुआ। जिसका संसर्ग किया जाता है उसके प्रति समर्पण भाव हो. उसके चरणों में तीन जो अहं का उत्सगं किया
सजनशील जीवन का
द्वितीय सगं हुआ। समर्पण के बाद समर्पित की बड़ी-बड़ी परीक्षाएँ होती हैं और ''सुनो ! खरी-खरी समीक्षाएँ होती हैं, तुमने अग्नि-परीक्षा दी उत्साह साहस के साथ जो उपसर्ग सहन किया,
4H2 :: मुक पाटी