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मृगराज के सामने, संघर्ष का प्रश्न ही नहीं उठता ऐसी स्थिति में, परिवार की शरण में जाना ही पतवार को पाना है
और
अपार का पार पाना है। अन्य सभी प्रकार के व्यापार प्रहार और हार के रूप में ही सिद्ध होंगे, यह निश्चित हैं। इस पर भी चदि
...:: .. प्रतिकार का विचार ही
तो सुनो !
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सलिल की अपेक्षा अनल को बाँधना कटिन है और अनल की अपेक्षा अनिल की बाँधना और कठिन है।
परन्तु
सनील को चाँधना तो
सम्भव ही नहीं है। जल का शासन कभी
त पर चल नहीं सकता घृत जल पर बैठना जानता है अमरों पर विष का कभी असर पड़ नहीं सकता,
और 'भ्रमरों पर मपि का कभी असर पड़ नहीं सकता।"
172 :: मुक्र मादी