Book Title: Mook Mati
Author(s): Vidyasagar Acharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 496
________________ 'आतंकवाद की जय हो समाजवाद का नय हो भेद-भाव का अन्त हो धेद भाव जयवन्त हो। इस दृश्य को दरख कर । दन के आत्म-विश्वास को यकायक आया। पहुँचा बन्नपात का वातावरण बना देवता-दल की बात सच निकली हाय र ! पश्चाताप मे पटता हुआ, व्याकुल शोकाकुल ही अबरद्ध-काट से कहता थाक "कोई शरण नहीं है कोई तरुण नहीं है तुम्हारे बिना हमें यहाँ, क्षमा करा, क्षमा करो क्षमा के हे अवतार ! हमसे बड़ी भूल हुई, पुनरावृत्ति नहीं होगी हम पर विश्वास हो : संकटों में घिरे ह्या हैं चाहो तो अब बचा तां, कंटकों में छिदे हार है। चाहो तो 1 बिलाओ; हम अपराधी हैं चात अपरा "धी' हैं सच्चा सो पश्च बताओ अधिक समय ना बिताओ : 17.1:: पक पाटी

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