Book Title: Mook Mati
Author(s): Vidyasagar Acharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 491
________________ अपने भविष्य-भाल की और दूषित करना है! नदी ने कहा तुरन्त, "उतावली मत करो ! - दल की दमनशील धमकियों से सेठ के सिवा परिवार का दिल हिल उठा, उसके दृढ़ संकल्प को पसीना - सा छूट गया ! उसकी जिजीविषा बलवती हुई और वह जीवन का अवसान अकाल में देख कर.. आत्म-समर्पण के विषय में सोचने को बाध्य होता, कि सत्य का आत्म-समर्पण और वह भी असत्य के सामने कैसे ? हे भगवन् ! यह कैसा काल आ गया, क्या असत्य शासक बनेगा अब ? क्या सत्य शासित होगा ? हाय रे, जौहरी के हाट में आज होरक-हार की हार ! हाय रे, काँच की चकाचौंध में मरी जा रही -. पूक माटी 469

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