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माना, दण्डों में अन्तिम दण्ड प्राणदण्ड होता है। प्राणदण्ड से
औरों को तो शिक्षा मिलती है,
परन्तु जिसे दण्ड दिया जा रहा है . . . ... . ... ... ... ... .. उसकी उन्नति का अवसर ही समाप्त। दण्टखेहेता इसको माने या न माने, क्रूर अपराधी को क्रूरता से दण्डित करना भी एक अपराध है, न्याय-मार्ग से स्खलित होना है।"
अब चारों ओर से घिर गया आतंकवाद। जहाँ देखो वहाँ"बस अनगिन नाग-नागिनकहीं पाताल से नागेन्द्र ही परिवार सहित आया हो भू पर पतित पददलितों के पक्ष लेने। यह प्रथम घटना है कि आतंकयाद ही स्वयं आतंकित हुआ, पीछे हटने की स्थिति में है वह, काला तो पहले से ही था वह काल को सम्मुख देख कर और काला हुआ उसका मुख !
मूक माटी :: 41