Book Title: Mook Mati
Author(s): Vidyasagar Acharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 475
________________ हमने पहले ही तय किया था, कि सतह की सेवा प्रशंसा अधिक नहीं करना हैं क्योंकि सतह पर कब तक तैरते रहेंगे, हाथ भर आएँगे ही ! लहरों के दर्शन मात्र से सन्तुष्ट होने वाले प्रायः डूबते दिखे हैं। - यहाँ पर सतह पर ! अरी निम्नगे निम्न-अम्रे ! इस गागर में सागर को भी धारण करने की क्षमता है धरणी के अंश जो रहे हम ! कुम्भ की अर्थ-क्रिया जल धारण ही तो है और "सुनो ! स्वयं धरणी शब्द ही विलोम रूप से कह रहा है कि धरणी नीरध नीर को धारण करे सो धरणी P नीर का पालन करे सो धरणी ! जैसे मणियों में नील मणि कमलों में नील कमल सुखों में शील-सुख पृक माटी 453

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