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हमने पहले ही तय किया था, कि सतह की सेवा प्रशंसा
अधिक नहीं करना हैं
क्योंकि
सतह पर
कब तक तैरते रहेंगे,
हाथ भर आएँगे ही ! लहरों के दर्शन मात्र से
सन्तुष्ट होने वाले
प्रायः डूबते दिखे हैं।
- यहाँ पर सतह पर
!
अरी निम्नगे निम्न-अम्रे ! इस गागर में सागर को भी धारण करने की क्षमता है धरणी के अंश जो रहे हम !
कुम्भ की अर्थ-क्रिया
जल धारण ही तो है और "सुनो !
स्वयं धरणी शब्द ही
विलोम रूप से कह रहा है कि धरणी नीरध
नीर को धारण करे सो धरणी
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नीर का पालन करे सो
धरणी !
जैसे
मणियों में नील मणि कमलों में नील कमल
सुखों में शील-सुख
पृक माटी 453