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धूल बन कर भू-पर गिर पड़ीं, और
क्रूर विषधर विष उगलते फूत्कार करते बाहर निकलते,
जिनकी आँखों में रोष
ताण्डवनृत्य कर रहा है,
फणा ऊपर उठा-उठा
पूँछ के बल पर खड़े हो निहार रहे हैं बाधक तत्त्व को !
तत्काल विदित हुआ विषधरों को
विप्लव का मूल कारण । परिवार निर्दोष पाया गया
जो
इष्ट के स्मरण में लगा हुआ है, मजवरी रोष पाण या
4। शुक माटी
जो
शिष्ट के रक्षण में लगा हुआ है, और
अवशिष्ट दल पारिशेष्य-न्याय से
सदोष पाया गया
जो
सबके भक्षण में लगा हुआ
है
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फिर क्या पूछना !
प्रधान सर्प ने कहा सबको कि
"किसी को काटना नहीं, किसी का प्राणान्त नहीं करना मात्र शत्रु को शह देना है। I उद्दण्डता को दूर करने हेतु दण्ड संहिता होती हैं