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निर्धारित समय से पूर्व ही अनर्थ घटने की पूरी सम्भावना !
लो
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इधर्
झारी ने भी माटी के
कुम्भको संकेत दिया
और
कुम्भ ने परिवार को सचेत किया,
सब कुछ मौन, पर
गुप-चुप सक्रिय !
अड़ोस-पड़ोस की निरपराध जनता इस चक्रवात के चक्कर में आ कर,
कहीं फँस न जाय,
इसी सदाशय के साथ कुम्भ ने कहा सेठ से, कि
" तुरन्त परिवार सहित
यहाँ से निकलना है,
विलम्ब घातक हो सकता है।" और,
प्रासाद के पिछले पथ से
पलायित हुआ पूरा परिवार
!
किसी को भी पता नहीं पड़ा, झारी को भी नहीं,
बताने जैसी परिस्थिति भी तो नहीं ! 'विश्वस्त भले ही हुआ हो
सद्यः परिचित के कानों तक
गहरी बात पूरी बात
अभी नहीं पहुँचनी चाहिए
और
सेठ के हाथ में है पथ-प्रदर्शक कुम्भ,
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