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________________ निर्धारित समय से पूर्व ही अनर्थ घटने की पूरी सम्भावना ! लो 1229 इधर् झारी ने भी माटी के कुम्भको संकेत दिया और कुम्भ ने परिवार को सचेत किया, सब कुछ मौन, पर गुप-चुप सक्रिय ! अड़ोस-पड़ोस की निरपराध जनता इस चक्रवात के चक्कर में आ कर, कहीं फँस न जाय, इसी सदाशय के साथ कुम्भ ने कहा सेठ से, कि " तुरन्त परिवार सहित यहाँ से निकलना है, विलम्ब घातक हो सकता है।" और, प्रासाद के पिछले पथ से पलायित हुआ पूरा परिवार ! किसी को भी पता नहीं पड़ा, झारी को भी नहीं, बताने जैसी परिस्थिति भी तो नहीं ! 'विश्वस्त भले ही हुआ हो सद्यः परिचित के कानों तक गहरी बात पूरी बात अभी नहीं पहुँचनी चाहिए और सेठ के हाथ में है पथ-प्रदर्शक कुम्भ, - -
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
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