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चिकित्सक दल का सत्कार किया गया, सेवानुरूप पुरस्कृत हुआ बह और
यह सब यमत्कार
माटी के कुम्भ का ही है उसी का सहकार भी,
अहिंसापरक चिकित्सा पद्धति जीवित रहे चिर
बस इसी सदुद्देश से
हर्ष से भीगी आँख ले
विनय अनुनय से नम्रीभूत हो
स्वयं सेठ ने अपने करों से
नव अंक वाली लम्बी राशि दल के करों में दे दी
और
दल की प्रसन्नता पर
अपने को उपकृत मानी ।
जाते-जाते सेठ जी की ओर मुड़ कर दल ने कहा कि
धन्यवाद देते,
आभार मानते प्रस्थान !
हम तो निमित्त मात्र उपचारक और
"एक बार और लौट आई है घड़ी अपने सम्मुख
आत्मग्लानि की
मानहानि की '
पृक पाटी :: AIMP