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अपने जीवन की रावणों में रीता रानी है ।
इसलिए
नम शुक्ष छविवाली राख बनी है।"
इस पर बीच में ही कुम्भ ने कहा,
ja
अग्नि परीक्षा के बाद भी सच कोयलों में बबूल के कोचले
काले भी तो होते हैं
यह वो बता दा!"
सुन
ली, उत्तर देती ने आगे : अं मतिमन्द, गन्ध, अनुपात से अग्नि का ताप काम मिलने से ही लकड़ियाँ पूरी न जल कर को का रूप ले लेती है, अन्यथा
वह राख में टलती ही है।
इस कार्य में
या तो आने का प
किंवा
1
लकड़ों में शेष रहा जन्गंश का किन्तु,
लकड़ी का दीप किचित् गी नहीं, इतनी साधारण-सी बात भी तुझे क्या ज्ञात नहीं
"]],], कहीं भी :
तेरे साथ अधिक वालना भी
शुक पार्ट