________________
वेद मिला, भेद खुला'प्रकृति का प्रेम पाये बिना पुरुष का पुरुषार्थ फलता नहीं' चिकित्सकों के मुख से निष्कर्ष के रूप में परिवार ने सुन स्वीकार लिया यह, और सविनय निवेदन किया कि “सेठ जी ने आरोग्य भी प्राप्त हो. . . . . . . . . . . रोग का प्रतिकार हो ऐसा उपचार हो बताया गया पथ्य का पालन शत-प्रतिशत किया जाएगा, जो कहो, जैसा कहो सो वैसा स्वीकार है।
राशि की चिन्ता न करें मान-सम्मान के साथ वह तो मिलेगी ही, पुरुष की सेवा के लिए सदा तत्परा मिलती जो दासी-सी
छाया की ललित छवि-सी'! वैसे चिकित्सकों की दष्टि वह राशि की ओर कभी मुड़ती ही नहीं, मुड़नी भी नहीं चाहिए, मर्यादा में जीती-सुशीला कुलीन-कन्या की मति-सी, फिर भी कलियुग का अपना प्रभाव भी तो है
मूक माटो :: :45