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जीवन लक्ष्य की ओर बढ़ नहीं पाता यदि चढ़ भी जाय
दृढ़ रह नहीं पाता। सुन भी रहे
. देख भी तो रहे कि
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396 :: मूकमाटी
सकल-कलाओं का प्रयोजन बना है
केवल
अर्थ का आकलन संकलन ।
आजीविका से छी छी जीभिका-सी गन्ध आ रही है,
नासा अभ्यस्त हो चुकी है और
इस विषय में खेद हैंआँखें कुछ कहती नहीं ।
किस शब्द का क्या अर्थ है,
यह कोई अर्थ नहीं रखता अव !
है
कला शब्द स्वयं कह रहा कि 'क' यानी आत्मा सुख 'ला' यानी लाना देता है कोई भी कला हो
कला मात्र से जीवन में सुख-शान्ति सम्पन्नता आती है
न अर्थ में सुख है न अर्थ से सुख !" वैषयिक लोभ-लिप्सा से दूर परिवार के मुख से
कला-विषयक कथन सुन चिकित्सक दल सचेत हुआ जिसे देख कर परिवार भी
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