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कोई अपने करों में रजत-कलश ले खड़ है, कोई युगल करों को कलश बना कर खड़े हैं,
कोई ताम्र-कलश लें कोई आम्र-फल ले कोई पीतल-कलश ले कोई सीताफल ले कोई रामफल ले
कोई जामफल ले ::ोई कलाकार काले... "... ::::
कोई सर पर कलश ले कोई अकेला कर में ले केला कोई खाली हाथ ही कोई थाली साथ ले। विशेष बात यह है, कि सब विनत-माथ हैं और बार वारसुदूर तक दृष्टिपात करते
अतिथि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। गो, इतने में ही आत हुए अतिथि का दर्शन हुआ और दाताओं के मुख से निकल पड़ी जयकार की नि !
जय हां ! जय हो ! जय हो ! अनियत विहारवालों की नियमित विचारवालों की
311 :: पूक मार्टी