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भीतर रहने की आज्ञा मिली है। और
बिना बोले बैठने को बाध्य किया है.. फिर भी, बीच-बीच में,
चौखट के भीतर से या खिड़कियों से एक-दूसरों को आगे-पीछे करते बाहर झाँकने का प्रयास चल रहा हैं I
सीमा में रहना असंयमी का काम नहीं, जितना मना किया जाता
उतना मनमाना होता है
पाल्य दिशा में ।
त्याज्य का तजना
भाज्य का भजना, सम्भव नहीं बाल्य दशा में ।
तथापि जो कुछ पलता है
बस, बलात् ही भीति के कारण ! यही स्थिति है इधर भी !
सर को कस कर बाँध रखा है सेठ ने बालों के बबाल से बचने हेतु । तथापि,
विशाल ललाट तल पर
कुटिल - कृष्ण बालों का लट बार-बार आ निहार रहा है
अन्न-दान के सुखद दृश्य को अन्य ध्यान के विमुख दृश्य को,
और
निर्भीक हो कर कहता है सब पात्रों में प्रमुख पात्र को,
कि
"आप सन्त हैं समता के धनी ये दाता सज्जन हैं ममता की खनी
मूकमाटी 941