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फेंक मारने से मशाल बुझ नहीं सकता आने वाले का जीवन ही चुझ सकता है,
कोई साधक साधना के समय मशाल को देखते-देखते ध्यान धारणा साध नहीं सकता
"क इसमें पान की परत की "ध्येच यदि चंचल होगा, तो
कुशल व्याता का शान्त मन भी चंबल ही उगाही'
और भी ऐसे
कई दुर्गुण हैं मशाल के मिसाल कितने दूँ यूँ कह दूसरी उदाहरण की ओर मुड़ती है
यह लेखनी |
दीपक संयमशील होता है
बढ़ाने से चढ़ता है,
और
घटाने से घटता भी ।
अन्य मूल्य वाले गिट्टी के तेल से
पूरा भरा हुआ टीपक ही - अपनी गति से चलता है, तिल-तिल हो कर जलता है, एक साथ तेल को नहीं खाता, आदर्श गृहस्थ-सम
मितव्ययी है दीपक !
कितना नियमित, कितना निरीह !
छोटा-सा वालक भो - अपने कोमल करों में
मशाल की नहीं,
क्षेत्र पार्टी