________________
आसन से उतर कर सोल्लास सेठ ने भी हँसमुख सेवक के हाथ से अपने हाथ में ले लिया कुम्भ. और
ताजे शीतल जल से धोता हैं कुम्भ को स्वयं !
फिर, बायें हाथ में कुम्भ ले कर, दायें हाथ की अनामिका से
चारों ओर कुम्भ पर
मलयाचल के चारु चन्दन से
स्वयं का प्रतीक, स्वस्तिक अंकित करता है
'स्व' की उपलब्धि हो सबको
इस एक भावना से ।
और
प्रति स्वस्तिक की चारों पांखुरियों में कश्मीर- केसर मिश्रित चन्दन से
चार-चार विन्दियाँ लगा दीं जो बला रहीं संसार को, कि
I
संसार की चारों गतियाँ सुख से शून्य हैं इसी भाँति,
प्रत्येक स्वस्तिक के मस्तक पर
चन्द्र-बिन्दु समेत, ओंकार लिखा गया योग एवं उपयोग की स्थिरता हेतु । योगियों का ध्यान
प्रायः इसी पर टिकता है।
हलदी की दो पतती रेखाओं से कुम्भ का कण्ठ शोभित हुआ, जिन रेखाओं के बीच
भूकमाटी र