________________
मृदु और कषि साम्य है, यहाँ ....... ... ... . . .
और यह हृदय हमारा कितना कोमल हैं, इतना कोमल है क्या तुम्हारा यह उपरिल तन ?
बस हमारे भीतर जरा झाँको, मृदुता और काटिन्य की सही पहचान तन को नहीं, हृदय को छू कर होती है।" श्रीफल की सारी जटाएँ हटा दी गई सर पर एक चोटी-भर तनी है जिस चोटी में महकता
खिला-खुला गुलाब फंसाया गया है। प्रायः सबकी चोटियाँ अधोमुखी हुआ करती हैं, परन्तु श्रीफल की ऊर्ध्वमुखी है। हो सकता है इसीलिए श्रीफल के दान को मुक्ति-फल-प्रद कहा हो।
'निर्विकार पुरुष का जाप करो' यूं कहती-सी आर-पार प्रदर्शन-शीला शुद्ध स्फटिकमणि की माला
कुम्भ के गले में डाली गई हैं। अतिथि की प्रतीक्षा में निरत-सा यू, सजाया हुआ
पृक पाटी :: :11