________________
अपने पति सागर का पक्ष प्रतिषत हुआ इन्हें जगत्पति प्रभाकर की पक्ष अनुकूल प्रकाशित हुआ इन्हें अपनी उज्ज्वल परम्परा सुन घटित अपराध के प्रति
और
अपने प्रति, घृणा का भाव भावुक हुआ,
सो तुरन्त कह उठीं :
"भूल क्षम्य हो, स्वामिन् !
सेविका सेवा चाहती हैं
वह दृश्य छवि दृष्ट कब हो इन आँखों से धूल शम्य हो, स्वामिनू !
अपरिचित आहार रहा जो अपरिमित आधार रहा जो आनन्द-तत्व का स्रोत मूल-गम्य हो स्वामिन् !"
208 भूक भाटी
कार्य क्या, अकार्य क्या,
श्रीर-नीर- विवेक जागृत हुआ संव्य की सेविका बनी समता की आँखों से लखने वाली, जिन की लीला तन की, मन की और वचन प्रणाली मृदुता मुदिता - शीला वनी
दान-कर्म में लीना दवा-धर्म-प्रवीणा
वीणा-विनीता-सी बनी "" ! राग-रंग त्यागिनी विराग संग भाविनी
सरला-तरला मराली. सी बनी..!