________________
भूचरों नभश्चरों का हा-हाकार सुन कर राहु के मुख में छटपटाता दिनकर को देख कर बादल के दिल को बल मिला, कहीं
कई गुणा खून चढ़ गया हो उसका ! पर पक्ष के पराभव में ऐसा होता ही है, पर, होना नहीं चाहिए। और स्व-पक्ष के पगपत में .. . .... ..... . .. .. .. दिल पर दौरा पड़ता है वह सब जग की जड़ता है। अब मेघों के वर्षण को कौन रोक सकता है? अब मेवों के हर्षण को कौन रोक सकता है ? प्रलयकारिणी वर्षा की भूमिका पूरी बन पड़ी है यथास्थानयूँ कहते माहौल को देख,
जब हवा काम नहीं करती तब दवा काम करती है,
और जब दवा काम नहीं करती तब दुआ काम करती है परन्तु, जब दुआ भी काम नहीं करती तब क्या रहा शेष ?
मक मादा :: 241