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ऐसा प्रतीत हो रहा है, कि परिमल - पारिजात पुष्प- पांखुरियाँ ही मुस्कान विखेरती
मंगल
नीचे उतर रही हों, धीरे-धीरे !
जो स्वर्गों से वरसाई गईं
देवों से धरती का स्वागत अभिनन्दन है ।
कुछ ओलों को पीड़ा न हो, यूँ विचार कर ही मानो उन्हें मस्तक पर ले कर
है क
सो ऐसा लग रहा हैं कि हनूमान अपने सर पर हिमालय ले उड़ रहा हो !
घटना का यह क्रम
घण्टों तक चलता रहा" "लगातार,
इसके सामने 'स्टार वार'
जो इन दिनों चर्चा का विषय बना है विशेष महत्त्व नहीं रखता।
ऊपर घटती हुई घटना का अवलोकन खुली आँखों से कुम्भ-समूह भी कर रहा ।
पर,
कुम्भ 前
मुख पर
भीति की लहर वैषम्य नहीं है
सहज - साक्षी भाव से, बस सब कुछ संवेदित है
सरत गरल सकल शकल सब !
इस पर भी
विस्मय की बात तो यह है
कि.
मूकमाटी
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