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जिसकी संयम की जठराग्नि मन्द पड़ी है, परिग्रह-संग्रह से पीड़ित पुरुष को महीं यानी मठा-महेरी पिलाती है,
'महिला' कहलाती है वह"! जो अव यानी 'अवगम'-ज्ञानज्योति लाती हैं, तिमिर-तामसता मिटा कर जीवन को जागृत करती है 'अबला' कहलाती है वह ! अथवा, जो पुरुष-चित्त की वृत्ति को विगत की दशाओं से
और अनागत की आशाओं से पूरी तरह हटा कर 'अब' यानी आगत-वर्तमान में लाती हैं 'अबला' कहलाती है बह"! बला यानी समस्या संकट है न बला सो अबला समस्या-शून्य-समाधान ! अबला के अभाव में सबल पुरुष भी निर्वल बनता है समस्त संसार ही, फिर, समस्या-समूह सिद्ध होता है, इसलिए स्त्रियों का यह 'अबला' नाम सार्थक है :
पृक पाटी :: 203