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हलकी-सी मधुरता फिर क्षण-भंगुरता झलकती है
ओस के कणों से । न ही प्यास बुझती, न आस बझता बस श्वास का दीया वह ! फिर तुम ही बताओ; . वात्सल्य में शान्त-रस का
अन्तर्भाव कैसा ? मों की गोद में बालक हो माँ उसे दूध पिला रही हो बालक दूध पीता हुआ ऊपर माँ की ओर निहारता अवश्य, अधरों पर, नयनों में और कपोल-बुगल पर। क्रिया-प्रतिक्रिया की परिस्थिति प्रतिफलन किस रूप में हैपरीक्षण चलता रहता है यदि करुणा या कठोरता नयनों में झलकेगी कुछ गम्भीर हो रुदनता की ओर मुड़ेगा वह, अधरों की मन्द मुस्कान से । यदि कपोल चंचल स्पन्दित होते हों ठसका लेगा वह ! यही एक कारण है, कि प्रायः माँ दूध पिलाते समयअपने अंचल में बालक के मुख को छिपा लेती है।
15 :: मूक माटो