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कुछ तत्त्वोद्घाटक संख्याओं का अंकन विचित्र चित्रों का चित्रण
और
कविताओं का सृजन हुआ है कुम्भ पर ! ६६ और ६ की संख्याएँ
जो कुम्भ के कर्ण-स्थान पर आभरण-सी लगती अंकित हैं अपने-अपने परिचय दे रही हैं।
यथा : €€x २
६६ x ३
-
.7
166 : मूक माटी
एक क्षार संसार की द्योतक है एक क्षीर-सार की।
एक से मोह का विस्तार मिलता है, एक से मोक्ष का द्वार खुलता है ६६ संख्या को
दो आदि यों में गुणित करने पर भले ही संख्या बढ़ती जाती उत्तरोत्तर,
=
परन्तु लब्ध-संख्या को परस्पर मिलाने से E की संख्या ही शेष रह जाती है
1
१६८, 9 + € + ए = १६, १+८ = ६ २६७, २
१८,१८
- f
३८.६, ३
१८, १
-
ε
ff, xx
इसी भाँति गुणन क्रम
६ की संख्या तक ले जाइए
और
€
-
७ =
=
६ की संख्या को
दो आदि संख्याओं से गुणित करने पर संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती हुई भी
Ι
= €