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बदले में फिर सुरीने स्वर-संगीत सनते हैं, श्रवणों से मन्त्र-मुग्ध हो, खो कर अपने को दैनिक - रात्रिक सपने को !
इसी भाँत, धनी मां की आज्ञा पालने में ग्त हैं. नाग, सूकर, मच्छ, गज, मेघ आदि जिनके नाम से मुक्ता प्रचलित हैंवंश-मकः।।, सीप-मुक्ता नाग-मुक्ता, सूकर-भुक्ता मन-मुक्ता, गज-मुक्ता
और गंध-मुक्ता ! मंघ-ममता बनने में भी धरती का ही हाथ है
सो 'रग्रप्ट होगा यहीं... इन सब विशेषताओं से सातिशय यश बढ़ता गया धरती का, चन्द्रमा की चन्द्रिका को अतिशय ज्चर चढ़ता गया ।
धरती के प्रति लिएकार का भाव ओर बढ़ा धरती को अपमानित - अपधादित करने हेतु चन्द्रमा के निर्देशन में न तत्च वह अति तेजी में अत्तरन की पाल चतने लगा, यदा-कदा म्वन्प वषां करके। दन्न दल पंदा करने लगा धरती पर। घाती को शकता-अखण्डता को
19G :: पूक मारी