Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे
"अस्ति ह्यालोचनाज्ञानं प्रथमं निर्विकल्पकम् । बाल मूकादिविज्ञानसदृशं शुद्धवस्तुजम् ॥१।। ततः परं पुनर्वस्तुधमॆर्जात्यादिभिर्यया । बुद्धयावसीयते सापि प्रत्यक्षत्वेन सम्मता ॥२॥"
[ मी० श्लो० प्रत्यक्षसू० ११२,१२० ] इति वचो विरुद्धय त । नापि सविकल्पकात्, कठकलापादिव्यक्तीनां मनुष्यत्वविशिष्ट तयेव ब्राह्मण्यविशिष्टतयापि प्रतिपत्त्यसम्भवात् । पित्रादिब्राह्मण्यज्ञानपूर्वकोपदेशसहाया व्यक्तिय॑ञ्जिकास्य ; इत्यप्यसारम् ; यतः पित्रादिब्राह्मण्यज्ञानं प्रमाणम्, अप्रमाणं वा ? अप्रमारणं चेत् ; कथमतोर्थसिद्धिर तिप्रसङ्गात् ? प्रमाणं चेत् ; किं प्रत्यक्षम्, अनुमानं वा ? प्रत्यक्षं चेत् ; न; अस्य तद्ग्राहकत्वेन प्रागेव प्रतिषेधात् ।
सविकल्प कहलायेगा। जाति आदि की कल्पना युक्त ज्ञान को भी निर्विकल्प माना जायगा तो आपका निम्नलिखित कथन विरुद्ध पड़ेगा-नेत्र के खोलते ही सबसे पहले जो इंद्रिय ज्ञान उत्पन्न होता है, यह ज्ञान शुद्ध वस्तु जन्य है तथा जैसे बालक, मूक आदि जीवों का ज्ञान कहने में नहीं आता है वैसा है ।।१।। इस निर्विकल्प ज्ञान के बाद वस्तु के जाति आदि धर्मों का निश्चय ज्ञान उत्पन्न होता है यह भी प्रत्यक्ष प्रमाण रूप से स्वीकार किया गया है ।।२।।
ब्राह्मण्य जाति की प्रतीति सविकल्प प्रत्यक्ष से होती है ऐसा कहना भी ठीक नहीं है, कठ, कलाप आदि जो ब्राह्मण पुरुष हैं उनमें जैसे मनुष्यपने का प्रतिभास होता है वैसे ब्राह्मणत्व रूप से विशिष्ट प्रतिभास नहीं होता है, अर्थात् किसी पुरुष विशेष को देखकर यह सविकल्पक ज्ञान तो हो जाता है कि यह मनुष्य है किन्तु यह ब्राह्मण है ऐसा ज्ञान नहीं होता है।
___मीमांसक-पिता आदि के ब्राह्मणत्व के ज्ञान हो जाने से पुत्रादि में इस ब्राह्मणत्व का अस्तित्व सिद्ध होता है, अर्थात् अपन ब्राह्मण हैं अपनी जाति ब्राह्मण है इत्यादि वृद्ध पुरुष के उपदेश से पुत्रादि को ब्राह्मणत्व से विशिष्ट ज्ञान हो जाता है ?
जैन- यह कथन असार है, पितादि को अपने ब्राह्मणपने का जो ज्ञान है वह प्रमाण है या अप्रमाण है ? यदि अप्रमाण है तो उससे ब्राह्मणत्व की सिद्धि किस प्रकार होगी ? अतिप्रसंग होगा, अर्थात् अप्रमाण से वस्तु सिद्धि हो सकती है तो संशयादि से भी हो सकती है। ब्राह्मणपने का ज्ञान प्रमाणभूत है तो वह कौनसा प्रमाण है प्रत्यक्ष
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