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प्रात्मद्रव्यवाद!
प्रत्रोच्यते-अणुपरिमाणप्रतिषेधोत्र पर्युदास :, प्रसज्यो वाभिप्रेतः ? यदि पर्यु दासः; तदासौ भावान्तरस्वीकारेण प्रवर्तते । भावान्तरं च किं परममहापरिमाणम्, अवान्तरपरिमाणं वा स्यात् ? प्रथमपक्षे साध्याविशिष्टत्वं हेतुविशेषणस्य । यथा 'अनित्यः शब्दोऽनित्यत्वे सति बाह्य न्द्रिय प्रत्यक्षत्वात्' इति । द्वितीयपक्षे तु विरुद्धत्वम् यथा 'नित्यः शब्दोऽनित्यत्वे सति बाह्य न्द्रियप्रत्यक्षत्वात्' इति ।
जैन-यह कथन ठीक नहीं है, आपने प्रथम अनुमान में अणुपरिमाणानधिकरणत्वे सति "अण परिमाण का अधिकरण नहीं होकर" ऐसा जो हेतु का विशेषण दिया है उसमें अणु परिमाण का निषेध है, वह निषेध पर्युदास है कि प्रसज्य है ? [पयुदासः सदृक् ग्राही प्रसज्यस्तु निषेध कृत-जो अभाव एक का निषेध करके अन्य समान का ग्राहक होता है उसे पयुदास प्रतिषेध या निषेध कहते हैं, और जो मात्र निषेध हो करता है वह प्रसज्य प्रतिषेध कहलाता है] पर्यु दास निषेध करना है तो वह भावांतर के स्वीकार करने रूप हुमा करता है, भावांतर यहां क्या है परममहापरिमाण अथवा अवांतर परिमाण ? अर्थात् अणु परिमाणस्य अधिकरणं न इति अणु परिमाणानधिकरणं ऐसा निषेध वाचक अणु परिमाणानधिकरण शब्द में परम महापरिमाण का निषेध किया अथवा अवांतर परिमाण का निषेध किया ? प्रथम पक्ष कहो तो हेतु का विशेषण साध्यसमान हुआ, साध्य व्यापक है और हेतु में विशेषण "अणु प्रमाण नहीं" अर्थात् महापरिमाण है, सो महापरिमाण और व्यापक इन दोनों का अर्थ वही एक सर्वगतपना होता है, अत: साध्य और हेतु समान होने से यह साध्यसम हेतु गमक नहीं बन सकता. जैसे कोई अनुमान बनावे कि "शब्द अनित्य है, क्योंकि अनित्य होकर बाह्यन्द्रिय द्वारा प्रत्यक्ष होता है" यहां साध्य अनित्य है और हेतु का विशेषण भी अनित्य है, सो इस तरह के हेतु स्वसाध्य के गमक या प्रसाधक नहीं हुआ करते हैं ऐसा आप स्वयं ने स्वीकार किया है। दूसरा पक्ष-अणु परिमाण का निषेध है अर्थात् आत्मा में अणु परिमाण का निषेध है ऐसा कहे तो अवांतर परिमाण का निषेध नहीं होने से उक्त हेतु स्वसाध्य में विरुद्ध पड़ेगा। जैसे किसी ने अनुमान वाक्य कहा कि शब्द नित्य है, क्योंकि वह अनित्य होकर बाह्य न्द्रिय प्रत्यक्ष है, यहां साध्य बनाया नित्यत्व को और हेतु अनित्यत्व दिया अतः साध्य से विरुद्ध पड़ा, ऐसे आपने भी साध्य तो बनाया आत्मा व्यापक है [सर्वगत] और हेतु दिया अणु प्रमाण के निषेध रूप अवांतर [ किसी एक परिमाण वाला ] परिमाण है, सो ऐसा साध्य से विरुद्ध हेतु विपक्ष को [अव्यापकत्व] ही सिद्ध करा देता है ।
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