Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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विशेषपदार्थविचारः
विशेषपदार्थोप्यनुपपन्नः। विशेषा हि नित्यद्रव्यवृत्तयः परमाण्वाकाशकालदिगात्ममनस्सु वृत्तरत्यन्तव्यावृत्तिबुद्धिहेतवः । ते च जगद्विनाशारम्भकोटिभूतेषु परमाणुषु मुक्तामसु मुक्तमनस्सु चान्तेषु भवा 'अन्त्याः' इत्युच्यन्ते, तेषु स्फुटतरमालक्ष्यमाणत्वात् । वृत्तिस्तेषां सर्वस्मिन्नेव परमाण्वादौ नित्ये द्रव्ये विद्यते एव । अत एव 'नित्यद्रव्य वृत्तयोऽन्त्याः' इत्युभयपदोपादानम् ।
वैशेषिक का विशेष पदार्थ भी प्रसिद्ध है, अब इसी का विवेचन करते हैं
वैशेषिक-जो नित्य द्रव्यों में रहते हैं अर्थात् परमाणु, आकाश, काल, दिशा, आत्मा और मनमें रहते हैं, तथा अत्यन्त व्यावृत्ति बुद्धि को-यह इससे सर्वथा भिन्न है इस तरह की बुद्धि को उत्पन्न करते हैं वे विशेष कहलाते हैं। इन विशेषों को अन्त्य भी कहते हैं, क्योंकि जगत विनाश के कारणभूत अंतिम परमाणुओं में, मुक्तात्माओं में, मुक्त मन में अन्त में होते हैं, इन परमाणु प्रादि में स्पष्टरूप से वे विशेष परिलक्षित होते हैं, सभी परमाणु आदि नित्य द्रव्य में इन अन्त्य विशेषों को वृत्ति हा ही करती है इसीलिये नित्य द्रव्य वृत्तयः और अन्त्याः ये दो विशेषणों को ग्रहण किया है।
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