Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे
.किञ्च, अतोनुमानात्सम्बन्धमानं साध्यते, तद्विशेषो वा ? प्रथमपक्षे सिद्धसाध्यता, तादात्म्यलक्षणसम्बन्धस्येष्टत्वात्तन्तुपटादीनाम् । ननु तेषां तादात्म्ये सति तन्तवः पटो वा स्यात्, तथा च सम्बन्धिनोरेकत्वे कथं सम्बन्धो नामास्य द्विष्ठत्वात् ? तदप्ययुक्तम् ; यो हि द्विष्ठः सम्बन्धस्तस्येत्थमभावो युक्तः, यस्तु तत्स्वभावतालक्षणः कथं तस्याभावो युक्तः ? तन्तुस्वभाव एव हि पटो नार्थान्तरम्, प्रातानवितानीभूततन्तुव्यतिरेकेण देशभेदादिना पटस्यानुपलभ्यमानत्वात् ।
अथ सम्बन्धविशेष : साध्यते; स कि संयोगः, समवायो वा ? संयोगश्चेत् ; अभ्युपगमबाधा। समवायश्चेत् ; दृष्टान्तस्य साध्यविकलता।
वैशेषिक को "इह तन्तुषु पट:" इत्यादि अनुमान द्वारा संबंधमात्र को सिद्ध करना है अथवा संबंधविशेष सिद्ध करना है प्रथम पक्ष कहो तो सिद्ध साध्यता है, क्योंकि हम जैन भी तन्तु और वस्त्र इत्यादि में तादात्म्य नामका सम्बन्ध मानते हैं।
वैशेषिक-तन्तु और वस्त्र इत्यादि पदार्थों में तादात्म्य सम्बन्ध मानने पर या तो तन्तु ही रहेंगे या वस्त्र ही रहेगा इसतरह सम्बन्धी पदार्थों के एकरूप होने पर उसे सम्बन्ध कैसे कह सकते हैं, सम्बन्ध तो दो में होता है ?
जैन-यह कथन अयुक्त है, जो वादी "सम्बन्ध दो में होता है" ऐसा हठाग्रह रखते हैं, उनके यहां सम्बन्ध का अभाव होना रूप दोष दे सकते हैं, किन्तु जो वादी तन्तु और वस्त्र इत्यादि का ऐसा स्वभावपना ही मानते हैं उनको सम्बन्ध का अभाव होना रूप दूषण किसप्रकार दे सकते हैं, हम जैन वादी के यहां तो तंतु स्वभावरूप ही पट है अर्थान्तर नहीं है, अर्थात् प्रातान-वितान रूप तन्तुनों का बनना ही पट है इनसे पृथक देश या स्वभावादि के भेद से भिन्न कोई भी पट पदार्थ उपलब्ध नहीं होता जो तन्तुओं के क्षेत्र, द्रव्य स्वभावादिक हैं वे ही वस्त्र के हैं ।
"इह तन्तुषु पटः" इत्यादि अनुमान द्वारा सम्बन्ध विशेष को सिद्ध किया जाता है ऐसा दूसरा पक्ष माने तो प्रश्न होता है कि वह सम्बन्ध विशेष कौन है, संयोग सम्बन्ध या समवाय सम्बन्ध ? संयोग सम्बन्ध तो कह नहीं सकते, क्योंकि तन्तु वस्त्रादि में आपने संयोग सम्बन्ध माना ही नहीं। समवाय सम्बन्ध सिद्ध किया जाता है ऐसा कहो तो दृष्टांत साध्य विकल होगा, अर्थात् यहां तन्तुओं में वस्त्र है इत्यादि इहप्रत्यय
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