Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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समवायपदार्थविचारः न हि धूमादिसम्यगनुमानस्य विशेषविरुद्धानुमानसहस्रणापि प्रत्यक्षादिभिरपहृतविषयेण बाधा विधातु पार्यते । न च विशेषविरुद्धानुमानत्वादेवेदमवाच्यम्; यतो न विशेषविरुद्धानुमानत्वमसिद्धत्वादिवद्धत्वाभासनिरूपणप्रकरणे दोषो निरूपितो येनानुमानवादिभिस्तदसिद्धत्वादिवन्न प्रयुज्यते । ततो यदुष्टमनुमानं तदेव विशेषविघाताय न प्रयोक्तव्यम्-यथा 'प्रयं प्रदेशोत्रत्येनाग्निनाग्निमान्न भवति
कहना ? प्रथम पक्ष अयुक्त है क्योंकि कालात्यपदिष्ट हेतु से [ प्रत्यक्ष बाधित हेतु से ] उत्पन्न हुए अनुमान का खंडन करने वाले प्रत्यक्षादि प्रमाण का अनुमान वादी द्वारा उपन्यास प्रयोग नहीं करने का अतिप्रसंग पाता है । अतः ऐसा नहीं कहना चाहिए।
भावार्थ-वैशेषिक का समवाय को सिद्ध करनेवाला अनुमान जैन के अनुमान द्वारा बाधित होता था तब वैशेषिक ने कहा कि हमारे अनुमान को विशेष विरुद्ध अनुमान है, इत्यादि रूप बाधा देंगे तो जगत के धूम अग्नि सम्बन्धी सकल अनुमान गलत ठहरेंगे । तब जैनाचार्य ने कहा कि इसतरह सदोष अनुमान को सदोष न बताया जाय तो बहुत ही बड़ा अनर्थ होगा, प्रत्यक्ष प्रमाण से जिसमें बाधा आ रही है उसे यदि दोष युक्त नहीं बतावे तो क्या प्रत्यक्ष को दोष युक्त बतावे ? सदोष को दोषी नहीं कहे तो क्या निर्दोष को दोषी कहे ? अर्थात सदोष को ही सदोष कहना होगा न कि निर्दोष को । इसप्रकार अनुमानाभास का उच्छेद [ नाश ] करने वाला अनुमान नहीं कहना ऐसा वैशेषिक का पक्ष असत् है ।
___ सम्यक्-सत्य अनुमान का उच्छेद करनेवाला जैन का अनुमान प्रयोग है अतः हमारे समवाय विषयक अनुमान को विशेषविरुद्धानुमान ठहराने वाले इस अनुमान को नहीं कहना, इसतरह दूसरा पक्ष कहो तो भो प्रयुक्त है । धूमादि हेतु वाले सत्य अनुमान हजारों विशेष विरुद्ध अनुमान जो कि प्रत्यक्षादि से खण्डित विषय वाले हैं उनसे बाधित नहीं हो सकते । अर्थात् अनुमानाभासों द्वारा सत्य अनुमान का निरसन नहीं किया जा सकता । तथा समवाय को खण्डित करने वाला अनुमान विशेषविरुद्धानुमान है अतः उसे नहीं कहना ऐसा वैशेषिक ने कहा वह असत् है, क्योंकि विशेष विरुद्धानुमान प्रसिद्ध आदि हेत्वाभासों के समान सदोष होता है ऐसा हेत्वाभासों का प्रतिपादन करने वाले प्रकरण में निरूपण नहीं किया है [अर्थात् विशेषविरुद्धानुमान नामका दोष है ऐसा नहीं बताया है जिससे कि अनुमान प्रमाणवादी जनादि लोग असिद्धादि के समान उसका
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