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तदाभासस्वरूपविचारः
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ये च विशेष्यासिद्धादयोऽसिद्धप्रकाराः परैरिष्टास्तेऽसत्सत्ताकत्वलक्षणासिद्धप्रकारान्नार्थान्तरम् , तल्लक्षणभेदाभावात् । यथैव हि स्वरूपासिद्धस्य स्वरूपतोऽसत्त्वादसत्सत्ताकत्वलक्षणमसिद्धत्वं तथा विशेष्यासिद्धादीनामपि विशेष्यत्वादिस्वरूपतोऽसत्त्वात्तल्लक्षणमेवासिद्धत्वम् ।
तत्र विशेष्यासिद्धो यथा-प्रनित्यः शब्द : सामान्यवत्त्वे सति चाक्षुषत्वात् ।
से शब्द को परिणामी सिद्ध करना कैसे गलत हो सकता है ? सो यह शंका ठीक नहीं, यद्यपि शब्द में पौद्गलिकपने की अपेक्षा चाक्षुष की अविशेषता है अर्थात शब्द में चाक्षुष धर्म जो नीलादिरूप है वह रहता है किन्तु वह अनुद्भूत स्वभाव वाला है, इसलिये दिखायी नहीं देता, शब्द में रूप की अनुभूति उसी प्रकार की है कि जिस प्रकार की अनुभूति जल में संयुक्त हुए अग्नि की है अर्थात् जैसे वैशेषिकादि का कहना है कि जल जब अग्नि से संयुक्त होता है तब उस अग्नि का चमकीला रूप अनुभूतअप्रकट रहता है, तथा सुवर्ण में अग्नि संयुक्त होने पर उसका उष्ण स्पर्श अनुभूत रहता है, ठीक वैसे शब्द में चाक्षुषरूप अनुभूत रहता है, इस विषय में शब्द को पौद्गलिक सिद्ध करते समय भली प्रकार से बता चुके हैं। मतलब यह हुआ कि शब्द को परिणमनशील सिद्ध करने के लिये यदि कोई अनुमान करे कि "परिणामी शब्द श्चाक्षुषत्वात्" तो यह स्वरूपासिद्ध हेत्वाभास वाला अनुमान है, अर्थात् चाक्षुषत्वात् हेतु शब्द में नहीं है।
नैयायिकादिने असिद्ध हेत्वाभास के विशेष्यासिद्ध, विशेषणासिद्ध इत्यादि अनेक भेद किये हैं उन सब प्रकार के हेत्वाभासों में असत् सत्तारूप प्रसिद्ध हेत्वाभास का लक्षण घटित होने से इससे पृथक् सिद्ध नहीं होते, जिसप्रकार इस स्वरूपासिद्ध हेतु में स्वरूप से असत् होने के कारण असत् सत्तात्व लक्षण वाला प्रसिद्धपना मौजूद है उसीप्रकार विशेष्यासिद्ध आदि हेत्वाभासों में भी विशेष्यादिस्वरूप से असत्पना होने से असत्सत्तात्व लक्षण मौजूद है अतः वे प्रसिद्ध हेत्वाभास में ही अन्तर्भूत हैं।
_अब यहां पर परवादी द्वारा मान्य इन विशेष्यासिद्ध आदि हेत्वाभासों का उदाहरण सहित कथन किया जाता है-सबसे पहले विशेष्यासिद्ध का उदाहरण देते हैंजैसे किसी ने अनुमान प्रस्तुत किया कि-शब्द अनित्य है [साध्य क्योंकि सामान्यवान होकर चाक्षुष है [ हेतु ] सो इसमें चाक्षुष हेतुविशेष्य है और उसका विशेषण सामान्यवान है, चाक्षुषपनारूप विशेष्य शब्द में नहीं पाया जाता, अतः यह विशेष्यासिद्ध
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