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प्रमेयक मलमार्त्तण्डे
यस्तद्वयतिरिक्तविशेषनिबन्धनो न भवति, व्यावृत्तप्रत्ययत्वात्, विशेषेषु व्यावृत्तप्रत्ययवदिति । तन्न विशेषपदार्थोपि श्रेयान् साधकाभावाद्बाध कोपपत्तेश्च ।
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में होनेवाला विलक्षण प्रत्यय [ प्रतिभास ] उन पदार्थों के अतिरिक्त विशेष के निमित्त से नहीं होता है, क्योंकि यह व्यावृत्त प्रत्यय है, जैसे विशेषों में व्यावृत्तप्रत्यय होते हैं वे अपने से अतिरिक्त विशेष से नहीं होते हैं । इस अनुमान द्वारा विशेषपदार्थ बाधित होता है अतः उसको मानना श्रेयस्कर नहीं है, जिसको मानने से बाधा आती है एवं जिसको सिद्ध करनेवाला कोई भी प्रमाण नहीं है उसको नहीं मानना ही कल्याणकारी है । अलं विस्तरेण ।
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