Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमल मार्तण्डे
एकद्रव्यः स्वाश्रयसंयुक्तलोहद्रव्य क्रियाहेतुः, आकर्षकाख्यस्य तु स्वाश्रयासंयुक्तलोहद्रव्य क्रियाहेतुरिति ।
अथात्र द्रव्यं क्रियाहेतुर्न स्पर्शादिगुणः; कुत एतत् ? द्रव्यरहितस्यास्य ततुत्वादर्शनाच्चेत्; तहि वेगस्य क्रियाहेतुत्वं क्रियायाश्च संयोगहेतुत्वं संयोगस्य च द्रव्यहेतुत्वं न स्यात्, किन्तु द्रव्यमेवात्रापि तत्कारणम् । ननु द्रव्यस्य तत्कारणत्वे वेगादिरहितस्यापि तत्स्यात्; तहि स्पर्शस्य तदकारणत्वे
है कि शक्ति को विचित्रता से चुबक के दो भेद हो जाते हैं एक भ्रामक चुम्बक और एक आकर्षक चुम्बक । भ्रामक चुबक अपने में स्पर्शित हुए लोह में क्रिया कराता है [ अपने में चिपकाकर घुमाता है ] और आकर्षक चुवक अपने को नहीं छये हुए लोह को दूर से आकर्षित करता है, जैसे चुंबक दो शक्ति द्वारा दो तरह की क्रिया का हेतु बनता है वैसे प्रयत्न या अदृष्ट नामा गुण भी दो प्रकार की क्रिया-संयुक्त द्रव्य को आकर्षित करना और असंयुक्त-दूरवर्ती द्रव्य को आकर्षित करना ऐसी दो क्रिया के हेतु होते हैं इस तरह मानना होगा ।
वैशेषिक-चम्बक की बात कही सो उसमें चम्बक द्रव्य ही उस क्रिया का निमित्त है, न कि उसके स्पर्शादि गुण निमित्त हैं ?
__ जैन--द्रव्य क्रिया का निमित्त होता है गुण नहीं यह किससे ज्ञात हा ? द्रव्य रहित स्पर्शादिगुण क्रिया के निमित्त होते हुए देखे नहीं जाते इसलिये द्रव्य को क्रिया का निमित्त माना है ऐसा कहो तो वेग नामका गुण क्रिया का निमित्त है किया संयोग का निमित्त एवं संयोग द्रव्य का निमित्त है ऐसा सिद्ध नहीं होगा। अपितु किया, संयोग तथा द्रव्य में केवल द्रव्य हो निमित्त है ऐसा सिद्ध होगा। अभिप्राय यह है कि वैशेषिक ने कहा कि स्पर्शादिगुण को किया का हेतु न मानकर द्रव्य को किया का हेतु मानना चाहिए, किंतु यह बात आपके ही सिद्धांत से विरुद्ध पड़ेगी क्योंकि आपके यहां केवल द्रव्य को किया का निमित्त नहीं माना अपितु वेग आदि गण को भी किया का निमित्त माना है ।
वैशेषिक-यदि केवल द्रव्यको कियाका कारण माने तो वेग गण रहित द्रव्य के भी किया हो जाती ?
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