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प्रात्मद्रव्यवादः
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न च (ननु च) नकुलशरीरप्रध्वंसाभावोऽहेरुपकारकोस्ति तस्मिन्सति सुखावासभ्रमणादिभावादत : सोपि तद्गुणपूर्वकः स्यात् तथा च कार्यत्वासम्भवेन सविशेषणस्य हेतोरवर्तमानाद्भागासिद्धो हेतुः । प्रत्युक्त चाभावस्यानन्तरमेव कार्यत्वम् । अथाऽतद्गुणपूर्वकः; अन्यदप्यतद्गुणपूर्वकमपि तदुपकारकं किन्न स्यात् ?
साध्यविकलं चेदं निदर्शनं ग्रासादिवदिति । तत्र ह्यात्मन: को गुणो धर्मादिः, प्रयत्नो वा स्यात् ? धर्मादिश्चेत् ; साध्यवत्प्रसंगः । प्रयत्नश्चेत्, कोयं प्रयत्नो नाम ? प्रात्मन: तदवयवानां वा
जो जिसका उपकारक होता है वह उसके गुण द्वारा किया होता है ऐसा मानेंगे तो और भी बाधायें आती हैं, नकुल [नेवला] के शरीर का प्रध्वंसाभाव होने से [नेवले के मर जाने से] सर्प का उपकार होता है क्योंकि उसके अभाव होने पर सर्प अपने स्थान पर सुख से रहता है, यत्र तत्र भ्रमण कर लेता है, सो यह जो नेवले के शरीर का अभाव हुआ है वह सर्प के गुण द्वारा हुअा है या उसके गुण द्वारा नहीं हआ है ? दोनों पक्षों में दोष है, क्योंकि यदि नेवले के शरीर का प्रभाव सर्प के गुण द्वारा हुमा मानते हैं और उस प्रभाव से सर्प का उपकार होना बतलाते हैं तो हेतु का विशेषण "कार्यत्वे सति" भागासिद्ध होता है [पक्ष के एक देश में नहीं रहना क्योंकि प्रभाव से कोई कार्य संपन्न नहीं होता है । आपके यहां अभाव को तुच्छाभावरूप माना है अतः उससे कार्य नहीं हो सकता ऐसा अभी सिद्ध कर दिया है। यदि उस नेवले के प्रध्वंसाभाव को सर्प के गुण द्वारा हुया नहीं मानते हैं और फिर भी उस प्रध्वंसाभाव से सर्प का उपकार होना स्वीकार करते हैं तो इसी तरह अन्य जो देवदत्त ग्रादि के स्त्री पुत्रादि के शरीर देवदत्त के प्रति उपकारक हैं वे उसके आत्मा के गण द्वारा नहीं होकर भी उसके उपकारक क्यों नहीं हो सकते ?
अात्मा को सर्वत्र व्यापक सिद्ध करने के लिये प्रयुक्त हए अनुमान में "ग्रासादिवत् जैसे ग्रासादिक देवदत्त के गुण का कार्य होने से देवदत्त के उपकारक होते
" ऐसा दृष्टांत दिया था यह दृष्टांत साध्य विकल [साध्य से रहित] है, इसी को आगे स्पष्ट करते हैं, देवदत्त के उपकारक ग्रासादिक [भोजन के ग्रास जिसको कवल, कौल, गासा इत्यादि देशभाषा में पुकारते हैं] है उसमें देवदत्त का कौनसा गुण कारण है। देवदत्त के प्रात्मा का धर्मादिगुण कारण है या प्रयत्न नामा गुण कारण है ? धर्मादिगुण कारण है ऐसा कहें तो साध्य सम दृष्टांत हुआ । अर्थात् स्त्री आदि के शरीर
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