Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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संबंध सद्भाववाद:
तयोत्पादादन्यो नीलाद्यनेकाकारैः सम्बन्धः सर्वात्मनेकदेशेन वा तैस्तस्याः सम्बन्धे प्रोक्ताशेषदोषानुषङ्गा विशेषात् ।
सचैवंविधः सम्बन्धोर्थानां क्वचिन्निखिल प्रदेशानामन्योन्य प्रदेशानुप्रवेशत: --यथा सक्तुतोयादीनाम्, क्वचित्तु प्रदेशसंश्लिष्टतामात्रेण यथांगुल्यादीनाम् । न चान्तर्बहिर्वा सांशवस्तुवादिन: सांशत्वानुषङ्गो दोषाय; इष्टत्वात् । न चैवमनवस्था; तद्वतस्तत्प्रदेशानामत्यन्तभेदाभावात् । तद्भेदे हि तेषामपि तद्वता प्रदेशान्तरैः सम्बन्ध इत्यनवस्था स्यात् नान्यथा, श्रनेकान्तात्मक वस्तुनोऽत्यन्तभेदाभेदाभ्यां जात्यन्तरत्वाच्चित्रसंवेदन व देव ।
नन्वेवं परमाणू नामप्यंशवत्त्वप्रसङ्गः स्यात्; इत्यप्यनुत्तरम्; यतोऽत्रांशशब्दः स्वभावार्थ ;
और तो कोई सम्बन्ध हो नहीं सकता, क्योंकि उन ग्राकारों का चित्र ज्ञान में एकदेश या सर्वदेश से सम्बन्ध होना स्वीकार करेंगे तो वही पूर्वोक्त पिण्ड मात्र होना इत्यादि दोष आते हैं, कोई विशेषता नहीं है । यह पदार्थों का जो सम्बन्ध है वह किसी जगह तो सम्पूर्ण प्रदेशों का परस्पर में प्रवेशानुप्रवेश होकर होता है, जैसे कि सत्तू और जल आदि में हुआ करता है, तथा किसी जगह प्रदेशों का संश्लेष मात्र से होता है, जैसे अंगुलियों का परस्पर में स्पर्श मात्र से सम्बन्ध होता है । हम जैन अंतरंग आत्मादि पदार्थ को तथा बहिरंग जड पुद्गलादि पदार्थों को सांश ही मानते हैं अतः सम्बन्ध मानेंगे तो सांगता आ जायेगी ऐसा दोष नहीं दे सकते, हमारे लिये तो सांशपना इष्ट ही है । इसतरह मानने में अनवस्था भी नहीं आती है पदार्थ से उसके प्रदेश सर्वथा भिन्न नहीं हुआ करते । हां यदि पदार्थ से परमाणुरूप प्रदेश सर्वथा भिन्न मानते तब तो प्रदेशों का सम्बन्ध स्थापित करने के लिए अन्य प्रदेशों की कल्पना करनी पड़ती, और अनवस्था या जाती, किन्तु वे प्रदेश पदार्थ से कोई दोष नहीं प्राता है, वस्तु स्वयं अनेक धर्म स्वरूप है, उसमें न और न सर्वथा अभेद है, किन्तु कथंचित भेदाभेदात्मक जात्यंतर ही है, ज्ञान नीलादि आकारों से सर्वथा भिन्न या सर्वथा भिन्न नहीं है, अपितु भेदात्मक है ।
कथंचित भिन्न मानने से
सर्वथा भेद है
जैसे कि चित्र
कथंचित भेदा
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शंका- इसतरह मानेंगे तो परमाणु अंशवान बन जायगा ?
समाधान - ऐसी बात नहीं है, यह तो बताइये कि अंश शब्द का अर्थ क्या
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