Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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: प्रमेयकमलमार्तण्डे चैवम् । ततोमीषां प्राक्तनाजनकस्वभावपरित्यागेन विशिष्टसंयोगपरिणामपरिणतानां जनकस्वभावसम्भवात्सिद्ध कथञ्चिदनित्यत्वम् । प्रयोगः-ये क्रमवत्कार्यहेतवस्तेऽनित्या यथा क्रमवदंकुरादिनिर्वर्तका बीजादयः, तथा च परमाणव इति ।
___ततोऽयुक्तमुक्तम्-'नित्या : परमाणवः सदकारणवत्त्वादाकाशवत् । न चेदमसिद्धमावयोः परमाणुसत्त्वेऽविवादात् । अकारणवत्त्वं चातोऽल्पपरिमाणकारणाभावात्तेषां सिद्धम् । कारणं हि कार्यादल्पपरिमाणोपेतमेव; तथाहि-द्वयणुकाद्यवयविद्रव्यं स्वपरिमारणादल्यपरिमाणोपेतकारणारब्धं कार्यत्वात्पटवत्,' इति; अकारणवत्त्वाऽसिद्धिः (द्ध :); परमाणवो हि स्कन्धावयविद्रव्यविनाश
सारे कार्य निष्पन्न हो जायेंगे। किन्तु ऐसा देखा नहीं जाता, अतः मानना पड़ता है कि इन परमाणुनों में पहले का अजनक स्वभाव का त्याग होता है और विशिष्ट संयोग परिणाम से वे परिणत होते हैं, यह विशिष्ट अवस्था ही जनक स्वभाव की द्योतक है, इस तरह स्वभाव परिवर्तन से परमाणु कथंचित् अनित्य सिद्ध होते हैं, अनुमान प्रयोग भी सुनिये-जो पदार्थ क्रम से कार्य के हेतु बनते हैं वे अनित्य होते हैं, जैसे क्रम से अंकूर आदि का निष्पादन करने वाले बीज आदि पदार्थ अनित्य होते हैं, परमाणु भी क्रमिक कार्यों के निष्पादक हैं अतः अनित्य हैं ।
जब परमाणनीं में अनित्यपना सिद्ध हुआ तब आपका अनुमान वाक्य गलत ठहरता है कि "नित्या: परमाणवः सदकारणवत्त्वादाकाशवत्" परमाणु नित्य हैं, क्योंकि सत होकर अकारणभूत हैं, जैसे कि आकाश है, इत्यादि । परमाणु सत्तारूप हैं इस विषय में तो आप वैशेषिक और हम जैन का कोई विवाद है नहीं, किन्तु दूसरा विषय जो अकारणत्व है वह हमें मान्य नहीं, अब परमाणु के अकारणत्व पर विचार किया जाता है, कार्य से कारण अल्प परिमाण वाला हुआ करता है और परमाणु से अल्प कोई है नहीं अतः परमाण अकारण हैं ऐसा आपका कहना है, कारण सदा अल्प परिमाण युक्त ही होता है जैसे कि द्वयणुक आदि अवयवी कार्यभूत द्रव्य अपने परिमाण अर्थात् माप से अल्प माप वाले कारण से बना है, क्योंकि इसमें कार्यपना है, जो जो कार्य होगा वह वह अल्प परिमाण वाले कारण से ही निर्मित होगा जैसे अल्प परिमाण वाले तन्तुओं से पट बना है। इस तरह आप वैशेषिकका सिद्धांत है, किन्तु परमाणुओं में अकारणत्व तो प्रसिद्ध है, अनुमान से सिद्ध होता है कि जो परमाणु रूप द्रव्य हैं वे स्कन्धरूप अवयवी द्रव्य के विनाश के कारण हैं क्योंकि स्कन्ध के विनाश होने पर ही
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