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प्रमेयकमलमार्तण्डे
ये तु वास्तवं काल द्रव्यं नाभ्युपगच्छन्ति तेषां परापरयौगपद्यायोगपद्यचिरक्षिप्रप्रत्ययानामभाव। स्यात् । न खलु ते निनिमित्ताः; कादाचित्कत्वाद्घटादिवत्। नाप्यविशिष्टनिमित्ताः; विशिष्टप्रत्ययत्वात् । न च दिग्गुणजाति निमित्तास्ते ; तज्जात प्रत्ययवैलक्षण्येनोपपत्तेः । तथा हि-अपरदिग्व्यवस्थितेऽप्रशस्तेऽधमजातीये स्थविरपिण्डे 'परोयम्' इति प्रत्ययो दृश्यते । परदिग्व्यवस्थिते चोत्तमजातीये प्रशस्ते यूनि पिण्डे अपरोयम्' इति प्रत्ययो दृश्यते ।
अथादित्यादिक्रिया तन्निमित्तम् ; जन्मतो हि प्रभृत्येकस्य प्राणिन मादित्यवर्तनानि भूयांसीति
मीमांसक आदि परवादी तो वास्तविक काल द्रव्य नहीं मानते हैं, सो उनके मत में पर-अपर, यौगपद्य-अयोगपद्य, चिर-क्षिप्र ये प्रत्यय अर्थात् ज्ञान होना असंभव है। ये जो प्रतीतियां हुआ करती हैं वे कारण के बिना नहीं हो सकती क्योंकि ये ज्ञान कभी कभी हुआ करते हैं, जो कभी कभी होता है उसका निमित्त अवश्य होता है, जैसे घटादि पदार्थ कभी कभी होते हैं अतः मिट्टी कुम्हारादि के निमित्त से होते हैं । ये परापर प्रत्यय अविशिष्ट-साधारण कारणों से भी नहीं हो सकते क्योंकि ये विशिष्ट प्रत्यय हैं । इन प्रत्ययों का निमित्त दिशा, गुण अथवा जाति भी नहीं हो सकता, क्योंकि दिशा आदि के निमित्त से होने वाले प्रत्ययों से ये परापरादि प्रत्यय विलक्षण हा करते हैं। उसी को उदाहरण देकर समझाते हैं-निकटवर्ती दिशा में कोई पुरुष बैठा है वह निकृष्ट गुणवाला है और अधम जाति वाला चांडाल है किन्तु वृद्ध है तो उस पुरुष में “परोऽयं' यह अधिक आयु वाला-बड़ा है ऐसा ज्ञान हुआ करता है, और कोई पुरुष दूर दिशा में बैठा है उत्कृष्ट गुणवान है तथा उत्तम जाति का है ऐसे युवक में "अपरोऽयं" यह अल्पायु वाला छोटा है ऐसा ज्ञान होता है, सो यह प्रतीति यदि दिशा के निमित्त से होती तो निकट वाले पुरुष में "पर है" ऐसा ज्ञान नहीं होना था, तथा गुण के निमित्त से होती तो उक्त पुरुष में “परोऽयं" बड़ा है ऐसा ज्ञान नहीं होना चाहिए था, एवं जाति निमित्तक यह प्रत्यय होता तो चांडालादि में “परोयं" ऐसा ज्ञान नहीं होता किन्तु उस दिन निकटवर्ती पुरुष में परोऽयं-बड़ा है ऐसा ज्ञान होता है अतः इस ज्ञान का निमित्त दिशादि न होकर असाधारण निमित्त स्वरूप काल द्रव्य ही है ।
शंका-जो परापर प्रत्यय चांडालादि पुरुष में होता है उसमें काल द्रव्य निमित्त न होकर सूर्यगमन प्रादि निमित्त है, जिस किसी एक प्राणी के जन्म से लेकर
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