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प्रमेयकमलमार्तण्डे
नन्वेवमाकाशप्रदेशश्रेरिणष्वपि कुतस्तत्सिदि: ? स्वरूपत एव तत्सिद्धौ तस्य परावृत्त्यभावप्रसंगः, मन्योन्यापेक्षया तत्सिद्धौ अन्योन्याश्रयणादुभयाभावः; तदेतद्दिकप्रदेशेष्वपि पूर्वापरादिप्रत्ययोत्पत्ती समानम् । यथैव हि मूर्त्तद्रव्यमवधिं कृत्वा मूर्तेष्वेव 'इदमत : पूर्वेण' इत्यादिप्रत्यया दिग्द्रव्यहेतुकास्तथा दिग्भेदमवधिं कृत्वा दिग्भेदेष्वेव 'इयमतः पूर्वा' इत्यादिप्रत्यया द्रव्यान्त रहेतुकाः सन्तु विशिष्टप्रत्ययत्वाविशेषात्, तथा चानवस्था। परस्परापेक्षया तत्सिद्धावितरेतराश्रयणादुभयाभावः ।
भी प्रसिद्ध ही कहलायेगा, और इसतरह उभय प्रत्ययों का [ पूर्वत्व-पश्चिमत्व प्रतिभासों का ] अभाव होगा ऐसा वैशेषिक ने कहा था वह असत्य है। क्योंकि इन पूर्वादि प्रत्ययों का कारण आकाश प्रदेश है ऐसा सिद्ध किया है ।
वैशेषिक-आप जैन दिशाद्रव्य को पृथक् न मानकर आकाशद्रव्य के प्रदेशों की पंक्ति में हो पूर्वादि दिशाओं की कल्पना करते हैं, सो उन प्रदेशों में भी “यह पूर्व है" इत्यादि प्रत्यय किस कारण से होता है ? यदि स्वरूप से ही इन प्रदेश श्रेणियों में पूर्वादि प्रत्यय होते हैं तो उन पूर्वादि दिशाओं में जो परिवर्तन होता है, अर्थात-पूर्व दिशा भी किसी देश की अपेक्षा पश्चिम कहलाने लगती है और पश्चिम दिशा कभी किसी देश को अपेक्षा पूर्व कहलाती है, सो ऐसा परिवर्तन होता है वह नहीं हो सकेगा, और यदि अन्योन्यापेक्षा मात्र से [पूर्व की अपेक्षा पश्चिम, और पश्चिम की अपेक्षा पूर्व] प्राकाश प्रदेशों में पूर्वादि प्रत्यय होना स्वीकार करेंगे, अन्योन्याश्रय दोष अाकर दोनों का अभाव हो जावेगा ?
__ जैन - यह दूषण तो आपके दिशा प्रदेशों में भी प्रावेगा उसमें भी पूर्व, पश्चिम इत्यादि प्रतिभास उत्पन्न नहीं हो सकते । इसी को आगे कहते हैं जिसप्रकार मतद्रव्य की अवधि [मर्यादा-सीमा] करके मूर्तपदार्थों में ही "इद मतःपूर्वेण" यह यहां से पूर्व दिशा में है, इत्यादि ज्ञान होते हैं वे दिशाद्रव्य के कारण होते हैं ऐसा आप मानते हैं, उसीप्रकार दिशाओं में भेद की अवधि करके दिशा भेदों में ही "यह दिशा इस दिशा से पूर्व है" इत्यादि प्रत्यय किसी अन्य द्रव्य के कारण होते हैं, ऐसा मानना चाहिए। क्योंकि ये भी विशिष्ट प्रत्यय हैं। इसतरह इन प्रत्ययों का अन्य कारण स्वीकार करने पर उसका भी अन्य कारण होगा इसतरह अनवस्था आती है। यदि मूत्तिक पदार्थों में पूर्वादिप्रत्यय दिशाद्रव्य से और दिशाद्रव्य में मूत्तिकद्रव्य से होते हैं
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