Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्राकाशद्रव्यविचारः
२६५ यच्च ‘शब्दलिङ्गाविशेषात्' इत्याधुक्तम् ; तद्वन्ध्यासुतसौभाग्यव्यावर्णनप्रख्यम् ; कार्य द्रव्यस्य व्यापित्वादिधर्मासम्भवात् ।
एतेनेदमपि निरस्तम्-'दिवि भुव्यऽन्तरिक्षे च शब्दा: श्रूयमाणेनैकार्थसमवायिनः शब्दत्वात् श्रूयमाणाद्यशब्दवत् । श्रूयमाण: शब्द: समानजातीयासमवायि कारणः सामान्य विशेषवत्त्वे सति नियमेनास्मदादिबाह्य केन्द्रियप्रत्यक्षत्वात् कार्यद्रव्यरूपादिवत्' इति; प्रतिशब्दं पुद्गलद्रव्यस्य
शब्द रूप हेतु विशेष के कारण आकाश एक है" इत्यादि आकाश सिद्धि के लिये जो कहा था वह भी वन्ध्या पुत्र के सौभाग्य का वर्णन करने के समान व्यर्थ का है, क्योंकि कार्य द्रव्य में व्यापित्व आदि धर्म असंभव है।
इसप्रकार शब्द आकाश का गुण है ऐसा कहना खण्डित होता है इसके खंडन से ही आगे कहा जाने वाला पक्ष भी खण्डित हुअा समझना चाहिये। अब उसी को बताते हैं- स्वर्ग में, पृथिवी पर, आकाश में अधर जो भी शब्द होते हैं वे सुनने में आये हुए शब्द के साथ एकार्थ समवायी हुअा करते हैं, अर्थात् - आकाशरूप एक पदार्थ हो उनका समवायी कारण होता है, क्योंकि वे सभी शब्दरूप हैं, जैसे सुनने में प्रा. रहा पहला शब्द उसो समवायो कारण से हुआ है । तथा दूसरा अनुमान भी कहा जाता है कि-यह सुनने में आने वाला जो शब्द है वह समान जातीय असमवायी कारण वाला है, क्योंकि सामान्य विशेषवान होकर नियम से हमारे बाह्य-एक-इन्द्रिय द्वारा प्रत्यक्ष होता है, जैसे कार्य द्रव्य जो पृथिवी या वस्त्रादिक है उसके रूपादि गुण समान जातीय असमवायी कारण वाले होते हैं । इन उपर्युक्त दो अनुमानों द्वारा शब्द को आकाश का गुण रूप सिद्ध करने का प्रयत्न किया है, इसमें यह बताया है कि शब्द का समवायी कारण एक है और वह आकाश ही है, किन्तु यह प्रतिपादन गलत है, शब्द एक कारण से न बनकर पृथक्-पृथक् पुद्गल द्रव्य रूप उपादान कारण से बनता है अर्थात् प्रत्येक शब्द का पुद्गलरूप उपादान या समवायी कारण भिन्न है । तथा अभी बताये हुए अनुमानों में शब्द का असमवायी कारण समानजातीय शब्द है ऐसा कहा है वह भी गलत है । शब्द से शब्द बनता है, प्रथम शब्द आकाशादि कारण से बनकर आगे के शब्द को उत्पन्न कर नष्ट होता है फिर शब्द से शब्द बनते जाते है, इत्यादि कथन शब्द का क्षणिकत्व खण्डित होने से प्रसिद्ध है। अभिप्राय यह है कि
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