Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे तत्र न तावत्स्पर्शाश्रयत्वमस्यासिद्धम् ; तथाहि-स्पर्शवाञ्छब्दः स्वसम्बद्धान्तिराभिघातहेतुत्वात् मुद्गरादिवत् । सुप्रतीतो हि कंसपात्र्यादिध्वानाभिसम्बन्धेन श्रोत्राद्यभिघातस्तत्कार्यस्य बाधिर्यादेः प्रतीतेः । स चास्याऽस्पर्शवत्त्वे न स्यात् । न ह्यस्पर्शवता कालादिनाभिसम्बन्धेऽसौ दृष्टः । न च शब्दसहचरितेन वायुना तदभिघातः इत्यभिधातव्यम् ; शब्दाभिसम्बन्धान्वयव्यतिरेकानुविधायिस्वात्तस्य, तथाभूते पि तदभिघातेऽन्यस्यैव हेतुकल्पने तत्रापि क: समाश्वासः ? शक्यं हि वक्तुम-न
बताते हैं - द्रव्यं शब्दः, स्पर्शाल्पमहत्व परिमाण संख्या संयोग गुणाश्रयत्वात्" शब्द द्रव्य नामा पदार्थ स्वरूप ही है, क्योंकि उसमें स्पर्श गुण का आश्रयपना देखा जाता है, तथा अल्प एवं महान परिमाण का आश्रयपना पाया जाता है, संख्या गुण का और संयोग गण का प्राश्रयपना भी उसमें उपलब्ध होता है, जो जो वस्तु इस प्रकार की हो वह वह द्रव्य ही है, जैसे बेर, आंवला, बेल आदि फल स्पर्श अल्प, महान आदि गुण के आश्रय होने से द्रव्यरूप हैं, शब्द भी इन बेर आदि वस्तु के समान है अतः द्रव्य ही कहलाता है।
__ शब्द को जो स्पर्शगुणका प्राश्रयभूत माना है वह असिद्ध भी नहीं है, आगे इसी को कहते हैं-शब्द नामा पदार्थ स्पर्शवाला है, क्योंकि वह अपने से सम्बद्ध अन्य पदार्थ के अभिघात का कारण है, जैसे लाठी आदि पदार्थ अपने से सम्बद्ध हुए घट आदि पदार्थ का घात करने वाले देखे जाते हैं। सुप्रसिद्ध बात है कि कांसे के बर्तन आदि के ध्वनि-शब्द से सम्बन्धित होने के कारण कर्ण का अभिघात होता है तथा उससे बहिरापना पा जाता है। यदि शब्द स्पर्शवान् नहीं होता तो कर्ण का अभिघात होना आदि कार्य नहीं हो सकता था। जो पदार्थ स्पर्शवान् नहीं है उसका किसी से सम्बन्ध नहीं देखा गया है, जैसे कि काल द्रव्य स्पर्श रहित है तो उसके साथ किसी का अभिसम्बन्ध नहीं होता है ।
___ शंका-शब्द किसी से सम्बन्धित नहीं होता और न वह किसी का घात ही करता है, किन्तु शब्द के सहचारी वायु द्वारा कर्ण का अभिघात होना आदि कार्य होता है ?
समाधान-ऐसा नहीं कह सकते, कर्ण का अभिघात तो शब्द के साथ अन्वय व्यतिरेक रखता है, अर्थात् जब शब्द का सम्बन्ध कर्ण से होता है तभी उसका अभिघात होता है और वह सम्बन्ध नहीं होता है तो अभिघात भी नहीं होता है अतः कर्ण के
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