Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे तत्र कार्यात्कारणत्वावगमेऽनुमानाच्छक्त्यवगम: स्यात् । तत्रापि शक्तिकार्ययोः प्रतिबन्धप्रतीतिर्न प्रत्यक्षादेः; उक्तदोषानुषंगात् । अनुमानात्तदवगमेऽनवस्थेतरेतराश्रयानुषंगो वा स्यात् । एतेन तृतीयोपि पक्षश्चिन्तित इति ।
तदेतत्सर्वमसमीचीनम् ; सम्बन्धस्याध्यक्षेणैवार्थानां प्रतिभासनात्; तथाहि-पटस्तन्तुसम्बद्ध एवावभासते, रूपादयश्च पटादिसम्बद्धाः । सम्बन्धाभावे तु तेषां विश्लिष्टः प्रतिभासः स्यात्, तमन्तरे. णान्यस्य संश्लिष्टप्रतिभासहेतोरभावात् । कथं च सम्बन्धे प्रतीयमानेऽप्रतीयमानस्याप्यसम्बन्धस्य
स्थित कार्यकारण का अविनाभाव सम्बन्ध किससे जाना जाता है ? प्रत्यक्ष से तो जान नहीं सकते, इत्यादि वही पहले दिये हुए दोष आते हैं। अनुमान से अविनाभाव को जानना भी शक्य क्योंकि उसमें अनवस्था या अन्योन्याश्रय दोष स्पष्ट दिखाई दे रहा है। कार्य कारण भाव को अनुमान प्रमाण जानता है ऐसा तीसरा पक्ष भी पहले के दो पक्षों के समान असिद्ध ठहरता है, उसमें पहले के समान शंका समाधान का विचार कर लिया समझना चाहिए। इसतरह जैनादि का कार्य कारण ग्रादि कोई भी संबंध सिद्ध नहीं होता है, यह निश्चित हुआ।
जैन- यह बौद्ध का विस्तृत विवेचन असत्य है, पदार्थों का सम्बन्ध तो प्रत्यक्ष प्रमाण से साक्षात् ही उपलब्ध हो रहा है, देखिये--वस्त्र धागों में सम्बन्धित प्रतीत हो रहा है, वस्त्र में शुक्लता आदि धर्म सम्बद्ध दिखायी दे रहे हैं, यदि ऐसी बात नहीं होती तो तन्तुओं का वस्त्र से भिन्न ही प्रतिभास होता, सम्बन्ध को छोड़कर अन्य कोई संश्लिष्ट प्रतिभास का कारण नहीं है। इसतरह जब सम्बन्ध का साक्षात् प्रतिभास हो रहा है तब उसे छोड़कर प्रतीति में नहीं आने वाले ऐसे असम्बन्ध की कल्पना कैसे कर सकते हैं ? ऐसी कल्पना करने में तो प्रतिभास से विरुद्ध पड़ता है, तथा पदार्थों का सम्बन्ध नहीं मानेंगे तो उनमें अर्थ क्रिया नहीं हो सकेगी, जब घट आदि पदार्थों के परमाणु परस्पर में सम्बन्ध रहित हैं तब घट पदार्थ जल धारण आदि रूप अर्थ क्रिया को कैसे कर सकता है ? अर्थात् नहीं कर सकता है। पदार्थों के प्रत्येक परमाणु यदि पृथक्-पृथक् ही हैं तो रस्सी, दण्डा, बांस आदि वस्तुओं के एक भाग या छोर को पकड़कर खींचते ही अन्य भागरूप सम्पूर्ण वस्तुका आकर्षण कैसे होता है ? नहीं होना चाहिए ! किन्तु इन रस्सी प्रादि का ग्राकर्षण बराबर होता है, अतः निश्चित होता है कि पदार्थों का परस्पर सम्बन्ध अवश्य है।
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