Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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क्षणभंगवादः
८६
अथाहेतुकत्वेन ध्वंसस्य सदा सम्भवात्कालाधनपेक्षातः पदार्थोदयानन्तरमेव भावः; नन्वेवमहेतुकत्वेन सर्वदा भावात्प्रथमक्षणे एवास्य भावानुषङ्गो नोदयानन्तरमेव । न ह्यनपेक्षत्वादहेतुक: क्वचित्कदाचिच्च भवति, तथाभावस्य सापेक्षत्वेनाहेतुकत्वविरोधिना सहेतुकत्वेन व्याप्तत्वात्, तथा सौगतैरप्यभ्युपगमात् ।
ननु प्रथमक्षणे एव तेषां ध्वंसे सत्त्वस्यैवासम्भवात्कुतस्तत्प्रच्युतिलक्षणो ध्वंसः स्यात् ? ततः स्वहेतोरेवार्था ध्वंसस्वभावाः प्रादुर्भवन्ति ; इत्यप्यविचारितरमणीयम् ; यतो यदि भावहेतोरेव
विकल्प-लाठी आदि से घट आदि का नाश किया जाता है वह घट से भिन्न माने चाहे अभिन्न माने, दोनों तरह से बनता नहीं अतः घटादि का विनाश स्वयं होता है ऐसा यदि क्षणिक वादी का मंतव्य हो तो इससे “घटादि का विनाश लाठी ग्रादि की अपेक्षा नहीं रखता" इतना ही सिद्ध होगा किन्तु उत्पत्ति के अनंतर तत्काल ही नाश होना सिद्ध नहीं हो सकता । कहने का अभिप्राय यही है कि पाप नाश को निर्हेतुक मानते हैं लाठी आदि हेतु से घटादिक नष्ट हुए ऐसा कहना आपको इष्ट नहीं है किन्तु ऐसे निर्हेतुक रूप विनाश को मान लेने पर भी आपका सिद्धांत-"घटादि पदार्थ उत्पत्ति के अनंतर तत्काल ही नष्ट होते हैं" सिद्ध नहीं होता है, देखिये-जो निर्हेतूक हो वह उत्पत्ति अनंतर नष्ट हो ऐसा नियम नहीं है, अश्व विषाण प्रादिक निर्हेतुक है किन्तु वह अश्व रूप पदार्थ के उत्पत्ति अनंतर ही होते हुए नहीं देखे जाते हैं ।
बौद्ध-हम तो ऐसा मानते हैं कि नाश जब निर्हेतुक है अन्य कारण की अपेक्षा नहीं रखता है तो वह हमेशा होना संभव ही है अतः काल आदि की अपेक्षा किये बिना वह विनाश पदार्थ के उत्पत्ति अनंतर ही हो जाया करता है।
जैन-यदि ऐसी बात है तो अहेतुक होने के कारण सदा विद्यमान ऐसे उस विनाश को प्रथम क्षण में ही हो जाना चाहिये, उत्पत्ति के अनंतर ही होना तो बनता नहीं। जो अनपेक्ष होने से अहेतुक है वह किसी एक स्थान पर, किसी एक समय ही होता हो ऐसा नहीं बनता, क्योंकि जो कभी कभी किसी किसी स्थान पर मात्र होता है वह कालादि की अपेक्षा सहित होता है अतः वह अहेतुकपन का विरोधी सहेतुक से व्याप्त रहेगा । आप बौद्धों ने भी ऐसा ही स्वीकार किया है कि जो कभी कभी होता है वह निर्हेतुक नहीं होता किन्तु सापेक्ष होता है ।
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