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श्रावेदक
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पाशीर्वाद अनिष्ट के प्राप्त होने से चित्त की आतुरता, श्राशंकित-वि० (सं० ) भयभीत, सशंघबराहट, उमंग । वि० श्रावेगपूर्ण । कित, त्रासित। आवेदक-वि० ( सं० ) निवेदन करने | श्राशना-संज्ञा, उभ० ( फा० ) जिससे वाला, प्रार्थी।
जान-पहिचान हो, चाहने वाला, प्रेमी । प्रावेदन-संज्ञा, पु. ( सं० ) अपनी दशा श्राशनाई-संज्ञा, स्त्री. ( फा० ) जान
का बताना, या प्रगट करना, निवेदन या पहिचान, प्रेम, प्रीति, दोस्ती, अनुचित प्रेम। प्रार्थना करना, अर्ज़ करना।
प्राशय-संज्ञा, पु. ( सं० ) अभिप्राय, श्रावेदन-पत्र-संज्ञा, पु. यो. (सं०) मतलब, तात्पर्य, बासना, इच्छा, उद्देश्य, अपनी दशा लिख कर सूचित करने का नीयत, श्राश्रय, गड्ढा, खात । काग़ज या पत्र, प्रार्थना पत्र, निवेदन-पत्र. प्राशा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अप्राप्त वस्तु के अर्जी।
प्राप्त करने की भावना या इच्छा और थोड़ा. आवेदनीय–वि० (सं० ) निवेदन करने बहुत निश्चय, उम्मीद, अभीष्ट वस्तु की के योग्य, प्रार्थनीय ।
प्राप्ति के थोड़े-बहुत निश्चय से उत्पन्न प्रावेदित-वि० (सं० ) निवेदित, प्रार्थित,
संतोष, श्रासरा, भरोसा, दिशा, दक्ष कहा हुआ।
प्रजापति की एक कन्या ।। वि० आवेदी-निवेदक, प्रार्थी ।
यौ० पाशा-भंग-प्राशा का टूटना, श्रावेद्य-वि० (सं० ) श्रावेदन करने योग्य,
निराशा, नाउम्मेदी।
पाशातीत-वि० (सं० प्राशा । अतीत ) प्रार्थनीय, निवेदनीय, कथनीय ।
आशा से अधिक, चाह से अधिक । आवेश-संज्ञा, पु० (सं० श्रा+ विश् + घञ् ) व्याप्ति, संचार, दौरा, प्रवेश, चित्त
प्राशिक-संज्ञा, पु. (अ.) प्रेम करने
वाला मनुष्य, अनुरक्त पुरुष, श्रासक्त ।। की प्रेरणा, झोंक, वेग, जोश, भूत-प्रेत
श्राशिष-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) आशीर्वाद, बाधा, मृगीरोग उदय, अहंकार, अपस्मार ।
श्रासीस, दुआ, एक प्रकार का अलंकार श्रावेशन-संज्ञा, पु० (सं० प्रा० । विश् ।
जिसमें अप्राप्त वस्तु के लिये प्रार्थना अनट ) प्रवेश, शिल्पशाला, कारख़ाना।
होती है। यावेष्ठन-संज्ञा, पु० (सं० ) छिपाने या प्राशिषाक्षेप-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ढकने का कार्य, लपेटने या ढकने की वस्तु ।
__ एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें दूसरे श्रावेष्ठित-वि. ( सं० ) लपेटा या छिपा | का हित दिखलाते हुए, ऐसी बातों के हुश्रा, ढका हुश्रा ।
करने की शिक्षा दी जाती है जिससे वास्तव श्रावो-वि० क्रि० अ० ( दे०) श्रायो। में अपने ही दुःख की निवृत्ति हो (के.)। अाश-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) रेशा, सूत, श्राशी--वि० (सं० आशिन् ) खानेवाला, अंश (सं० )।
भक्षक। आशंका-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) डर, भय, | प्राशीस-संज्ञा, स्त्री० दे० ( आशिष ) शक, शंका, संदेह, अनिष्ट की भावना, श्राशीर्वाद, वर,शुभाकांक्षा, असीस (दे०) । त्रास, संशय, अातंक, भीति ।
पाशीर्वचन-संज्ञा, पु. ( सं० ) शुभवाक्य, प्राशंकनीय-वि० (सं० ०+शंक+ कल्याण-वचन, मंगलकारी गिरा। अनीयर् ) भयावह, भय का स्थान, शंका | पाशीर्वाद-संज्ञा, पु. (सं०) कल्याण करने योग्य ।
। या मंगल-कामना-सूचक वाक्य, आशिष,
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