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केवलव्यतिरेकी ४६४
केसारी केवलव्यतिरेकी-संज्ञा, पु. यौ० । सं० ) में से एक, केश या प्रकाश-पूर्ण पदार्थों कार्य को प्रत्यक्ष देख कर कारण का अनु- वाला केसव (दे०)। मान, शेषवत् ।
" अंशवों ये प्रकाशंतेममते केशसंज्ञिताः। केवलान्वयी - संज्ञा, पु. यो० (सं० )| सर्वज्ञाःकेशवंतस्मान्प्राहा द्विजसत्तम् ।" कारण-द्वारा कार्य का अनुमान, पूर्ववत (विलो०-- केवलव्यतिरेकी)।
केश-विन्यास --- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) केवांज---संज्ञा, पु. ( दे०) कौंच, सेम कीसी बालों का सँवारना। फली और वृक्ष ।
केशांत - संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) १६ केवा-संज्ञा, पु० दे० (सं० कव = कमल ) संस्कारों में से एक, जिसमें यज्ञोपवीत के कमल, केतकी, केवड़ा । संज्ञा, पु० (सं० किंवा) | बाद बाल मूड़े जाते हैं, मंडन, गोदान-कर्म । बहाना, मिस, टाल-मटूल, संकोच | केशि-संज्ञा, पु. ( सं० ) केशी नामक "केवा जनि कीजै मोरि सेवा सब भाँति एक राक्षस जो कंस का दास था और लीजै-" रघु०।
उसकी आज्ञा से घोड़े का रूप धर कृष्ण केवाड-केवाड़ा--संज्ञा, पु० ( दे०) किवाड़, | को मारने गया किन्तु आप ही कृष्ण से कपाट (सं० ) स्त्री० केवाडी।
मारा गया, घोड़ा, सिंह, केवाँच । केसी केश (केस)-संज्ञा, पु० सं० ( दे० ) किरण, बरुण, विश्व, विष्णु, सूर्य, केशिनी - संज्ञा, स्त्री. (सं० ) सुन्दर बड़े सिर के बाल ।
बालों वाली स्त्री, एक अप्सरा, पार्वती की केश-कलाप—संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) केश- एक सहचरी, रावण-माता, कैकसी। समूह, चोटी, जूड़ा।
केशी-संज्ञा, पु० (सं० ) एक गृहपति केश-कर्म-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) बाल (प्राचीन ) एक कृष्ण-द्वारा मारा गया झारने और गूंधने की कला, केश विन्यास, असुर, घोड़ा, सिंह । वि० किरण या प्रकाश केशान्त नामक संस्कार।
वाला, सुन्दर बालों वाला। केसी (दे०)। केश-ग्रह-संज्ञा पु० (सं०) बाल पकड़ केस-संज्ञा, पु० दे० (सं०) केश । संज्ञा, पु० कर खींचना।
( अं० ) चीज़ रखने का घर, मुक़दमा, केश-पाश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बालों । दुर्घटना। की लट, काकुल ।
केसर--संज्ञा, पु० (सं० ) फूलों के बीच केश-रंजन-संज्ञा, पु० यो० (सं०) भँगरैया।। के बाल से पतले सींके, ठंढे देशों का एक केशर--संज्ञा, पु० (दे० ) केसर, नागकेशर, पौधा जिसके केसर सुगंधित होते हैं, कंकुम, सिंह और घोड़े की गरदन के बाल । घोड़े, सिंह आदि के गरदन के बाल, अयाल, केशराज-संज्ञा, पु० (सं० ) भुजंगा पक्षी, नागकेसर, बकुल, मौलसिरी, स्वर्ग।। भृगराज ( भैंगरैया )।
केसरिया-वि० दे० (हि. केसर + इयाकेशरिया- केसरिया - वि० (सं०) प्रत्य० ) पीला, केसर-युक्त, केसर के केसर के रंग का, युद्ध का वस्त्र ।
रंग का। केशरी, केसरी (दे०)--संज्ञा, ए० ( सं०) केसरी-- संज्ञा, पु० (सं० ) केशरी, सिंह, सिंह, एक बानर, हनुमान जी के पिता। घोड़ा, नागकेसर । केशव--संज्ञा, पु. (सं०) विष्णु, कृष्ण, | केसारी- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कृसर ) ब्रह्म, परमेश्वर, विष्णु की २४ मूर्ति-भेदों। दुबिया मटर ।
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