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सर्वभूत १७२३
सर्वोत्तम सर्वभूत-संज्ञा, पु० (सं०) चराचर, संसार । सर्वस्व-संज्ञा, पु० (सं०) सम्पूर्ण, समस्त, सर्वभोगी-वि० ( सं० सर्व भोगिन् ) सब सब कुछ, सारी-संपत्ति, सारा धन, सब का आनंद लेने वाला सब खाने वाला, माल-असबाब, सब सामग्री। अधर्मी । स्त्री० सर्व भोगिनी। सर्वहर ----संज्ञा, पु० (सं०) सब नाश करने सर्वमंगला-संज्ञा, स्त्री. (सं०) पार्वती, दुर्गा, वाला, शिव, महादेव, काल, यमराज । लचमी, सरस्वती । " श्रायुध सघन सर्व- सर्वान--वि) यौ० (सं०) सबसे आगे, सर्वमंगला समेत सर्व पर्वत उठाय गति श्रेष्ठ, सर्वोत्तम । यौ० सर्वाग्रगण्य । कीन्हीं है कमल को ''.... राम। सींग--संहा, पु. यौ० (सं०) सारा या सर्वमांगल्य --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सब का संपूर्ण शरीर, सब देह, सब अवयव या कल्याण या मंगल वि० सं०) सर्व- भाग, समस्त, सवींश । क्रि० वि० (सं०) पूर्ण मांगलिक।
रूप से, सर्वथा । वि० (सं०) सींगोण । सर्वमय--वि० (सं०) सर्व-स्वरूप, सर्वत्र सींश- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) समस्त भाग व्याप्त।
या अंश, सींग, सम्पूर्ण । क्रि० वि० (सं०) सर्वरी*---संज्ञा, पु० दे० (सं० शर्वरी) रात, पूर्ण रूप से, पूर्णतया, सर्वथा । रात्रि, निशा ।
सर्वात्मा--संज्ञा, पु० यौ० (सं० सर्वात्मन्) सर्वव्यापक-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सब में संपूर्ण संसार की धारमा या विश्वात्मा, उपस्थित या फैला हुआ, सर्वव्यापी, सव लोकारमा, ब्रह्म, अखिलात्मा, परमेश्वर, पदार्थों में रमणशील ।
विष्णु, शिव, ब्रह्मा। "सर्वात्मा सच्चिदा सर्वव्यापी--वि. (सं. सर्व व्यापिन् ) सब नन्दोऽनन्तोन्याय कृच्छविः'--६० स०। पदार्थों में व्याप्त. सब में फैला या उपस्थित, सर्वाधिकार--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पूर्ण सब में रमणशील । स्त्री. सर्व व्यापिनी।। अधिकार, पूरा इख्तियार, सब कुछ करने का सर्वशक्तिमान्-वि० यौ० (सं० सर्वशक्तिमत्) अधिकार । सब कुछ करने की सामर्थ्य रखने वाला। सर्वाधिकारी--संज्ञा, पु० (सं०) पूर्ण अधिस्त्री० . सर्व शक्तिमती । संज्ञा, पु० (सं०) कार वाला,जिसके हाथ में पूरा अधिकार हो । परमेश्वर । संज्ञा स्त्री० सर्व शक्तिमत्ता। सर्वाधीश-सर्वाधीश्वर ---संज्ञा, पु. यौ० सर्वश्रेष्ठ-वि० यौ० (सं०) सबसे बढ़कर, (सं०) सब का राजा या मालिक, ईश्वर । सर्वोत्तम, सर्वोच्च ।
सर्वाशी-वि० (सं० सर्वाशिन् ) सब कुछ सर्वसंहार ... संज्ञा, पु. यो० (सं०) सबका खाने वाला, पर्वभक्षी । स्त्री० सर्वाशिनी। नाश, सबका नाशक, काल । यौ. सर्व सर्वास्तिवाद--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक संहारक, सर्वसंहारकर्ता।
दार्शनिक सिद्धांत कि सर्व पदार्थ सत् या सर्वस-सर्बसु-संज्ञा, पु. द० (सं० सर्वस्व) सत्य सत्तावान् हैं असत्य या असत् नहीं, सर्वस्व, सब कुछ, सर्बस, सरबस (दे०)। सत्त्वत्तावाद, वि० सर्वास्तिवादी। "श्राद्ध तर्जाहं बुध सर्वस जाता"-- रामा० । सर्वेश-सर्वेश्वर-संज्ञा, पु. यो. (सं.) सब सर्वसाधारण-संज्ञा, पु० यौ०(सं०) साधारण का स्वामी या मालिक, परमेश्वर, अखिलेश्वर, या श्राम लोग, जनता, सब लोग । वि. राजाधिराज, पक्रवर्ती सम्राट । आम (फा०) जो सब में मिले।
सच्चि -वि० यौ० (सं०) सब से ऊँचा । सर्व सामान्य ....वि. यौ० (सं०) जो सबमें सर्वोत्तम--वि. यौ० (सं०) सर्व श्रेष्ठ, सबसे समता से पाया जावे, मामूली, साधारण । । उत्तम, सर्वोत्कृष्ट ।
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