Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1896
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८॥ हावन-दस्ता हिंडोर-हिंडोरा किलकिंचित श्री ललित, विलास कहावै । हास्यास्पद-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) विच्छिति हेला, विहृत, कुमित, मोहायित वह व्यक्ति जिसके बुरे ढङ्ग को देख हँसी हो, बतलावै इसमें स्यौं विच्चोक अंत में सब हँसी करने योग्य। गेरह गिनि खोजे। स्वाभाविक संयोग-समय हा-हंत-अव्य० यौ० (सं०) अति शोक को चेष्ठा ये कहि दीजै' - कं० वि० ला। सूचक शब्द। " हा हंत हंत नलिनी गज हावन-दस्ता -संज्ञा, पु० (फा०) खरल-वटा, उजहार" । खल-लोढ़ा। हा हा--संज्ञा, पु० (अनु० ) हँसने का शब्द । हाव-भाव --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पुरुषों का चौ०-हाहा-हीही, हाहा-ठीठी-हसीमन आकर्षित करने वाली स्त्रियों की मनोरम ठठा, बहुत बिनती की पुकार, दुहाई, गुहार । चेष्टाय, नाज़-नखरा । “नाना हाव-विभाव- मुहा०-हाहा करना (खाना)भाव कुशला"-प्रि० पु०। अति अनुनय-विनय या विनती करना, हाशिया--पंज्ञा, पु० दे० ( अ. हाशियः ) अति गिड़गिड़ाना । अव्य० (सं० हा ) मगजी, गोट, कोर, पाड़, किनारा, किनारे अति शोक । " हा हा कहि सब लोग पर का लेख, नोट, टिप्पणी, हासिया पुकारे ".-रामा० । (दे०)। मुहा० · हाशिये का गवाह- हाहाकार-संज्ञा, पु. ( सं०) कोलाहल, वह गवाह जिसका हस्ताक्षर दस्तावेज़ के कुहराम, घबराहट की चिल्लाहट । “हा हा. किनारे पर हो । हाशिया चढ़ाना- कार भयो पुर भारी''-रामा० । टिप्पणी लगाना, अधिकता करना, कुछ हाही-संज्ञा, स्त्री० ( हि० हाय ) कुछ पाने और मिलाना, विनोदार्थ कुछ बात जोड़ना। को सदैव हाय-हाय करते रहना । हास--- संज्ञा, पु. (५०) हँसी दिल लगी, हाह*-संज्ञा, पु० ( अनु० ) कोलाहल, उपहाप, ठट्ठा, मज़ाक, परिहाल, हंसने की कुहराम, हल्ला-गुल्ला, धूम, हलचल ! क्रिया या भाव। हाहू बेर-संज्ञा, पु० यौ० ( दे. हाहू । बेर हासिल- वि० (अ०) मिला या पाया हुआ, हि० ) जंगली बेर, झड़बेरी क: बेर, एक लब्ध, प्राप्त । संज्ञा, पु० ---जोड़ या गुणा औषधि, हाऊबेर, झाऊबेर (प्रान्ती०) । करने में इकाई के रखने के पीछे का अंक हिकरना-प्र० क्रि० (दे०) हिनहिनाना । किसी संख्या का वह भाग या यंक जो "हिंकरहिं अश्व न मारग लेहीं'-रामा० शेषांक के कहीं रखने पर बच रहे (गणि०), हिकार-संज्ञा, पु० (सं०) गाय के राँभने पैदावार, उपज, नफा, लाभ, लगान, जमा, | का शब्द । गणित की क्रिया का फल । हिंगलाज-- संज्ञा, स्रो० दे० (सं० हिंगुलाजा) हासी--वि० ( सं० हासिन् ) हपने वाला, दुर्गा देवी की मूर्ति जो सिंध देश में है। हाँसो, हँसी । स्त्री०-हासिनी। हिगु-संज्ञा, पु० (सं०) हींग, रामठ । हास्य-वि० (सं०) हँसने या उपहास के हिंगोट-संज्ञा, पु० दे० (सं० हिगुपत्र ) योग्य, जिसे या जिस पर लोग हँसे। संज्ञा, । ___एक जंगली कटीला पेड़ जिसके गोल छोटे पु० हपी, हँसने की क्रिया या भाव। फलों से तेल निकाला जाता है, इंगुदी। स्थायी भावों या रसों में से एक भाव या रस। हिंछा* --संज्ञा, स्त्री० (दे०) इच्छा। "श्रृंगार-हास्य-करुणा रौद्र वीर भयानकाः" हिडन-संज्ञा, पु० (सं०) घूमना, फिरना । ---सा. २० । निन्दायुक्त हँसी, उपहास, हिडोर हिडोरा संज्ञा, पु० दे० (सं० मज़ाक, दिल्लगी। | हिन्दोल) हिंडोला, दोला, एक प्रकार का For Private and Personal Use Only

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