Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1919
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होसलाद १९०८ उत्साह या साहस मिटजाना, जोश ठंढा नीचा, नाचीज़. लघु । विलो०-दीर्घ। पड़ जाना । उमंग, बढ़ी हुई तबीयत, संज्ञा, पु०--बावन बामन, बौना, खर्ब । प्रसन्नता या प्रफुल्लता, हर्षानंद-तरंग ।। " ह्रस्वः खर्वः तु वामनः "-अमर० । हौसलामंद-वि० (फ़ा०, होसिलेमंदा वह दीर्घ की अपेक्षा कम बल से उच्चरित स्वर, जिसकी तबीयत बढ़ी हो, माहसी हिम्मत- लघु स्वर. जैसे-अ, इ, उ (विलो०-गुरु), वर, उत्साही, कामना या लालसा रखने एक मात्रा वाला वर्ण । " एक मात्रो भवे. वाला, उत्सुक, उत्कंठित । सज्ञा, स्रो०-- तह्रस्वः द्विमात्रो दीर्घ उच्यते''- पा०शि० । हौसलामंदी। हस्वता-संज्ञा, स्रो० (सं०) खर्वता, लघुता, ह्याँ* -- अब्य० दे० ( हि. यहाँ । वहाँ (दे०) छोटाई न्यूनता, तुच्छता। यहाँ. हियाँ (ग्रा.) । विलोहाँ-वहाँ । हास-संज्ञा, पु. (सं०) न्यूनता, कमी, हो* सज्ञा, पु० दे० (हि० हिया, हिया) घटती, तीणता, घटाव हीनता, अवनति, हृदय, मन चित्त. कलेजा, छाती. पेट, बल शक्ति, वैभव. गुणादि की कमी, ध्वनि, हियो, हिय ही, होय। " वा बजबसन शब्द, हराम (दे०)। वारी ह्या-हरनहारी है"-पा० । हृद सज्ञा, पु० (स०) झील, बड़ा तालाब, ही-सज्ञा, स्त्री० स०) नीडा, लज्जा अपा, तडाग, विशाल ताल, सरोवर ध्वनि, हया, शर्म, दक्ष प्रजापति की कन्या और किरण । “मानसरोवर रावण ह्रद । तिब्बत धर्म की पत्नी. ''श्री ही धी नामुदाहृता" - झोल सुहाई ' ----कु० वि०। सि० कौ०। हृदिी -सज्ञा, स्त्री० (स०) नदी, सरिता, ह्लाद- संज्ञा, पु. (सं०) प्रानंद, प्रसन्नता, तटनी । ___ हर्ष, प्रफुल्लता आह्लाद उल्लास । " ह्लादहसित- वि० (सं०) घटाया हुआ, हाप-प्राप्त। | प्रपूर्ण प्रह्लाद हुये तदैव "-सरस । " पौरुष हमित भयो तन दुबल, नयन-लादन-संज्ञा, पु० (सं०) प्रसन्न या प्रफुल्लित जोति अब नाही". मन्ना० । । करना, हर्षण । वि०-लादनीय, हादित । हस्व-वि० (स.) नाटा, वावन, लघुडील हाँ*--प्रव्य० दे० (हि. वहाँ ) वहाँ, का, छोटा, खर्व, कम, न्यून, थोड़ा, तुच्छ, उहाँ (दे०)। 100 ॐ शान्तिः 00 For Private and Personal Use Only

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