Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1920
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रंथ-समाप्ति समय राम, अंक, निधि, चंद्र शुभ, संवत, कातिक मास । कृष्ण वठी गुरुवार को, पूरन ग्रंथ प्रकास ॥ -:: वंशा-परिचय कुल द्विज-कुल-वर सुकुल, सुकुल जाको जाम छाया, भरद्वाज सो चल्यो राम जिनको सिर नाया ॥ १ ॥ तिनके द्रोणाचार्य आर्य धनु-विद्या-पंडित । भे हरि-मान्य, वदान्य महा महिमा महि-मंडित ॥२॥ सब गुन-निधि निधिलाल भये तेहि बंस-उजागर । तिनके बंदन जोग भये सुखनंदन ागर ॥ ३॥ तिनके सब गुन-निपुन, सब कला-कुसल प्रतापी । महादेव देवज्ञ सुकवि कुल-कीरति थापी ॥४॥ तिनके पंडित - प्रघर शास्त्र - वक्ता, विज्ञानी, कुंज-बिहारीलाल भये निगमागम - ज्ञानी ॥५॥ कविता - कला • प्रवीन, फारसी - अरबी - पंडित । श्रुति - स्मृति - व्याकरन - भाष्य - वैद्यक सों मंडित ॥६॥ तिनके भयो “रसाल" मंद मति अस्प ज्ञानी । पितु-गुरु-पद-रज पाय रंच विद्या पहिचानी ॥ ७॥ पितु प्रसाद अरु अनुज सरस सों पाइ सहाई । कोश-रूप यह शब्द-रतन की रासि रचाई ॥ ८ ॥ प्रकटत आज समाज मैं, धरि उर यहै विचार । निज जन की कृति जानि बुध, लै हैं याहि सुधार ॥ -:: For Private and Personal Use Only

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