Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1894
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हानिकर १८८३ हारा बुराई, अनिष्ट, प्रभाव, अपकार । " हानि- लड़ाई या चढ़ा-ऊपरी में प्रतिद्वंदी के लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि सम्मुख न जीतना, पराजय, शिकस्त, थकाहाथ"-रामा। ट, हानि । मुहा० हार खाना -- हारना, हानिकर-वि० (सं०) क्षति पहुँचाने वाला, | पराजित होना । शिथिलता थकावट, क्षति, हानि करने वाला आरोग्यता या तंदुरुस्ती हानि, घटी, ज़ब्ती, वियोग, विरह, राज्य बिगाड़ने वाला, बुरा फल देने वाला। से अपहरण । संज्ञा, पु. (सं०) चाँदी, स्त्री०-हानिकरी। सोना और मोतियों श्रादि की माला, हानिकारक - वि० (सं०) हानिकर, हानि- ले जाने या वहन करने वाला, सुन्दर, भाजक (गणि०), गुरु मात्रा (पिं०), विना. हानिकारी--वि० ( सं० हानिकारिन् ) हानि- शक, एक प्रत्यय (व्या०) वन, नंगल, खेत। कर, हानिकारक, क्षतिप्रद। स्त्रो०-हानि. प्रत्य० दे० (हि० हारा ) वाला, जैसेकारिणी। ट्रानहार। हाफ़िज़--संज्ञा, पु० (अ०) वह मुसलमान हारक - संज्ञा, पु० (सं०) चोर, लुटेरा हरण जिसे कुरान कंठस्थ हो। करने वाला, संदर, मनोहर, भाजक हामी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० हाँ ) स्वीकार, (गणि०), माला, हार। " नव उज्वल जलहाँ करने की क्रिया या भाव, स्वीकृति। धार हार हीरक सी सोहति"--- हरि० । मुहा० --हामी भरना-स्वीकार या हारद, हारदिक* -- वि० (सं०) हार्दिक, मंजूर करना । संज्ञा, पु.-सहायक, सहायता हृदय-संबंधी, हृदय का। या हिमायत करने वाला। हारना-अ० कि० दे० ( सं० हार ) पराजित हाय-अव्य० दे० (सं० हा ) दुख, कष्ट या होगा, शिकस्त खाना, रण या प्रतिद्वंद्वितादि शोक-सूचक शब्द । संज्ञा, स्त्री० (दे०) कष्ट, में रान के सम्मुख विफल होना. थक जाना, पीड़ा, दुख । मुहा०—(किसी की) हाय शिथिल होना, प्रयत्न में असमर्थ या निराश पड़ना (लगना)---दुख देने का बुरा परि. होना । मुहा०-हारे दर्जे-विवश होकर, णाम या फल होना। हाय खाकर मरना लाचार या मजबूर होकर । हार कर--दुःख के कारण मर जाना। लाचार या असमर्थ होकर । स० कि०-खोना, हाय हाय-अव्य० दे० यौ० (सं० हा हा )। गँवाना, छोड़ देना, दे देना. रख न सकना, दुख, केश या शारीरिक कष्ट-सूचक शब्द।। लड़ाई, बाजी श्रादि को सफलता से न पूरा पंज्ञा, स्त्री०-दुख, कष्ट, शोक, झंझट, करना। परेशानी । मुहा०-हाय हाय करना-- हारबंध---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक चित्रझीखना, झंझट करना। हाय हाय में काय जिस में पद्य माला के रूप में रखे पड़ना-परेशानी या झंझट में पड़ना। जाते हैं। हायन-संज्ञा, पु. (सं० ) वर्ष, साल। हारल-संज्ञा, पु० (दे०) अपने चंगुल में "एकादश हायन के अंतर, लहहि जनेउ लकड़ो लिये रहने वाला एक पक्षी, हारिल। कुमारा"-रघु । हार-वार-संज्ञा, स्त्री० दे० हि० हड़बड़ी) हायल --- वि० (दे०) मूर्छित, घायल, बेकाम, शीघ्रता, पातुरता, जल्दी, हड़बड़ी, हरबरी। शिथिल । वि० पु. (अ.) दो वस्तुओं के हारनगर--संज्ञा, पु० (दे०) हरसिंगार, बीच में पड़ने वाला, अंतर्वती, रोकने वाला। पारिवात । हार-संज्ञा, स्रो० दे० (सं० हरि ) खेल, हारा-प्रत्य० दे० (सं० धार रखने वाला) For Private and Personal Use Only

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